नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को आश्वासन दिया कि यह पूरी तरह लागू किया जाएगा. पीएम मोदी ने कहा कि पिछले तीन-चार सालों से हो रहे विचार-विमर्श और लाखों सुझावों पर मंथन के बाद नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई है.
पीएम मोदी ने कहा, आज देशभर में इसकी चर्चा हो रही है.
अलग-अलग क्षेत्रों और विचारधाराओं के लोग इस पर अपने विचार व्यक्त कर रहे हैं.
चर्चा से होगा लाभ
उन्होंने कहा कि ये एक स्वस्थ चर्चा है, ये जितनी ज्यादा होगी, उतना ही लाभ देश की शिक्षा व्यवस्था को मिलेगा.
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प्रधानमंत्री मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यूजीसी की ओर से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित सम्मेलन में बोल रहे थे.
Addressing ‘Conclave on Transformational Reforms in Higher Education under National Education Policy.’ https://t.co/RmsnBiB37z
— Narendra Modi (@narendramodi) August 7, 2020
पीएम मोदी ने कहा,
“नई शिक्षा नीति 21वीं सदी के नए भारत की नींव रखेगी.
अभी तक हमारी शिक्षा व्यवस्था में ‘क्या सोचना है’ पर ध्यान केंद्रित रहा, जबकि नई शिक्षा नीति में ‘कैसे सोचना है’ पर बल दिया जा रहा है.”
प्रधानमंत्री ने इस बात पर संतुष्टि जताई कि देश के किसी भी क्षेत्र या वर्ग से भेदभाव संबंधी कोई शिकायत नहीं आई.
मोदी ने कहा,
“जब किसी संस्थान को मजबूत करने की बात होती है, तो ऑटोनॉमी पर चर्चा होती है.
एक वर्ग कहता है कि सबकुछ सरकारी संस्थान से मिलना चाहिए.
दूसरा कहता है सब कुछ ऑटोनॉमी के तहत मिलना चाहिए.
लेकिन अच्छी क्वालिटी की शिक्षा का रास्ता इसके बीच में से निकलता है,
जो संस्थान अच्छा काम करेगा उसे अधिक रिवॉर्ड मिलना चाहिए.
शिक्षा नीति के जरिए देश को अच्छे छात्र, नागरिक देने का माध्यम बनना चाहिए.”
‘ऊंच-नीच का भाव क्यों पैदा हुआ?’
अपने संबोधन में पीएम ने कहा, “देश में ऊंच-नीच का भाव और मजदूरों के प्रति हीन भाव क्यों पैदा हुआ?
आज बच्चों को पढ़ने के साथ-साथ देश की हकीकत भी जाननी जरूरी है.
भारत आज टैलेंट व टेक्नोलॉजी का समाधान पूरी दुनिया को दे सकता है.
टेक्नोलॉजी की वजह से गरीब व्यक्ति को पढ़ने का मौका मिल सकता है.”
उन्होंने कहा, ‘जब गांवों में जाएंगे, किसान को, श्रमिकों को, मजदूरों को काम करते देखेंगे, तभी तो उनके बारे में जान पाएंगे,
उन्हें समझ पाएंगे, उनके श्रम का सम्मान करना सीख पाएंगे.
इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्र शिक्षा और डिग्निटी ऑफ लेबर पर बहुत काम किया गया है.’
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