दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के आसपास हुई हिंसा में कथित तौर पर शामिल आपराधिक पृष्ठभूमि वाले 10 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. लेकिन जिन दस लोगों की गिरफ्तारी हुई है उसमें एक भी जामिया का छात्र नहीं हैं.
रविवार को दिल्ली पुलिस बिना अनुमति के विश्वविद्यालय परिसर में घुस गई थी. पुलिस ने छात्र- छात्राओं पर बल प्रयोग करते हुए उनकी बेरहमी से पिटाई की थी. इसके अलावा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे थे. संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान आगजनी में चार डीटीसी बसों, 100 निजी वाहनों और 10 पुलिस वाहनों को नुकसान पहुंचा था.
पुलिस की ओर से हुई कार्रवाई में दो छात्रों को गोली लगी थी, जिन्हें होली फैमिली अस्पताल में भर्ती किया गया था. हालांकि, गृह मंत्रालय अधिकारी की ओर से यह दावा किया गया है कि विरोध कर रहे छात्रों के ऊपर पुलिस ने गोली नहीं चलाई है. जामिया के छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई और नागरिकता कानून के खिलाफ गुस्से का असर उत्तर प्रदेश से लेकर केरल और महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक में देखा गया.
दिल्ली पुलिस की कार्रवाई को लेकर आईआईटी कानुपर, आईआईटी मद्रास और आईआईटी मुंबई में भी प्रदर्शन हुए. आईआईएम, अहमदाबाद, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलूरू के छात्रों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया. इसके साथ ही मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में भी प्रदर्शन हुआ. आईआईएम, बेंगलूरू के छात्रों ने जामिया के छात्रों के खिलाफ हुई पुलिसिया कार्रवाई का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है.