प्रशांत भूषण अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सजा पर सुनवाई होनी थी लेकिन उसे कोर्ट ने फिलहाल टाल दी है. कोर्ट ने उनको अपने लिखित बयान पर फिर से विचार करने को कहा और उन्हें इसके लिए दो दिन समय भी दिया है.
अवमानना मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी करार दिया था.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वह हर तरह की सजा के लिए तैयार हैं.
प्रशांत भूषण ने कहा,
‘मेरे ट्वीट एक नागरिक के रूप में मेरे कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए थे.
ये अवमानना के दायरे से बाहर हैं. अगर मैं इतिहास के इस मोड़ पर नहीं बोलता तो मैं अपने कर्तव्य में असफल होता.
मैं किसी भी सजा को भोगने के लिए तैयार हूं जो अदालत देगी.
माफी मांगना मेरी ओर से अवमानना के समान होगा.’
सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत से अपने बयान पर पुनर्विचार के लिए कहा.
इस पर उन्होंने कहा कि मैं इस पर पुनर्विचार कर सकता हूं लेकिन कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा.
मैं अदालत का समय बर्बाद नहीं करना चाहता.
मैं अपने वकीलों से सलाह लूंगा और फिर सोचूंगा.
अटॉर्नी जनरल ने भी माना कि प्रशांत भूषण को उनके स्टेटमेंट पर फिर से सोचने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए.
उन्होंने अदालत में बहुत काम किया है.
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बोलने की आजादी के दायरे
वहीं जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि बोलने की आजादी किसी के लिए भी, मेरे लिए हो या फिर मीडिया के लिए संपूर्ण नहीं है.
हमें सभी को यह बताना होगा कि यह रेखा है.
एक एक्टिविस्ट होने में कोई समस्या नहीं है, लेकिन हमें यह कहना होगा कि यह लाइन है.
सही या गलत हमने अब उन्हें दोषी पाया है.
क्या है पूरा मामला?
मालूम हो कि प्रशांत भूषण ने देश के सर्वोच्च न्यायलय और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था, जिस पर स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट ने अवमानना की कार्यवाही की. 27 जून को प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था.
22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रशांत भूषण को नोटिस जारी किया गया था.
प्रशांत भूषण को 2 ट्वीट के लिए नोटिस भेजा गया था.
एक ट्वीट में उन्होंने पिछले 4 चीफ जस्टिस पर लोकतंत्र को तबाह करने में भूमिका निभाने का आरोप लगाया था.
दूसरे ट्वीट में उन्होंने बाइक पर बैठे मौजूदा चीफ जस्टिस की तस्वीर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.