President Address Boycott: कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन जारी है. इसी बीच शुक्रवार को बजट सत्र का आगाज होने जा रहा है जहां कई विपक्षी दल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण का बहिष्कार (President Address Boycott) करते नजर आएंगे. राष्ट्रपति कोविंद के संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के साथ शुक्रवार को बजट सत्र का आगाज होगा.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि कांग्रेस समेत देश के 16 विपक्षी दलों ने आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति एकजुटता दिखाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के बहिष्कार (President Address Boycott) का फैसला किया है.
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विपक्षी दलों के नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा,
‘‘किसानों की मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार अहंकारी, अड़ियल और अलोकतांत्रिक बनी हुई है. सरकार की असंवेदनशीलता से स्तब्ध हम विपक्षी दलों ने तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग दोहराते हुए राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार किया है.’’
संयुक्त बयान में में कहा गया है कि भारत के किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्होंने कृषि के लिए एक खतरा पैदा कर दिया है, जबकि कृषि पर भारत की 60 प्रतिशत जनसंख्या निर्भर है. सर्दी, बारिश और कोहरे के बीच 64 दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर किसान बैठे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं. 155 किसानों ने अपनी जान गंवाई है. वहीं केंद्र सरकार इसका जवाब आंसू गैस के गोले, वाटरकैनन और लाठीचार्ज से दे रही है. हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं.
कौन-कौन से दल करेंगे बहिष्कार
सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार (President Address Boycott) करने वालों में कांग्रेस के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, सपा, आम आदमी पार्टी, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, पीडीपी, एमडीएमके, केरल कांग्रेस(एम) और एआईयूडीएफ दलों के नाम शामिल हैं.