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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विपक्ष को दी नसीहत, कहा- प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता न समझा जाए

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संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिना किसी का नाम लिए विपक्ष को बड़ा संदेश दिया है. पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस के मौके पर आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान की प्रस्तावना को पढ़ने में देश का नेतृत्व किया. राष्ट्रपति ने ट्वीट कर लिखा “विचारधारा में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कोई भी मतभेद इतना बड़ा नहीं होना चाहिए कि वह जन सेवा के वास्तविक उद्देश्य में बाधा बने.”

पार्लियामेंट के सेंट्रल हॉल में संविधान दिवस के मौके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ता-पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों में प्रतिस्पर्धा होना स्वाभाविक है लेकिन यह प्रतिस्पर्धा बेहतर प्रतिनिधि बनने और जन-कल्याण के बेहतर काम के लिए होनी चाहिए. संसद में प्रतिस्पर्धा को प्रतिद्वंद्विता नहीं समझा जाना चाहिए.

राष्ट्रपति कोविंद ने आगे कहा कि आज संविधान सभा की चर्चाओं और संविधान के कैलिग्राफ वर्जन और अपडेटेड वर्जन के डिजिटल संस्करण जारी कर दिए गए हैं. इस प्रकार टेक्नोलॉजी की सहायता से ये सभी अमूल्य दस्तावेज सभी लोगों के लिए सुलभ हो गए हैं. संविधान के अपडेटेड वर्जन से छात्रों को संवैधानिक प्रगति की यात्रा की जानकारी प्राप्त होगी. संवैधानिक लोकतंत्र के विषय पर ऑनलाइन क्विज कराने की पहल सराहनीय है. यह रोचक माध्यम नागरिकों और युवा पीढ़ी में संवैधानिक मूल्यों के संवर्धन में प्रभावित सिद्ध होगा.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान दिवस के मौके पर आगे कहा कि हम सब लोग यह मानते हैं कि हमारी संसद ‘लोकतंत्र का मंदिर’ है. अतः हर सांसद की यह ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वह लोकतंत्र के इस मंदिर में श्रद्धा की उसी भावना के साथ आचरण करें जिसके साथ वह अपने पूजा-गृहों और इबादत-गाहों में करते हैं.

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