दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन मूर्ति भवन में ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ का उद्घाटन किया. यह संग्रहालय आज़ादी के बाद से देश के प्रधानमंत्रियों को समर्पित है. इस मौके पर पीएम ने कहा कि जब देश अपनी आज़ादी के 75 वर्ष का पर्व, आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब ये म्यूजियम एक भव्य प्रेरणा बनकर आया है. इन 75 वर्षों में देश ने अनेक गौरवमय पल देखे हैं. इतिहास के झरोखे में इन पलों का जो महत्व है, वो अतुलनीय है.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि इस संसदीय प्रणाली का प्रमुख दायित्व देश के प्रधानमंत्री का पद रहा है. ये मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे प्रधानमंत्री संग्रहालय देश को समर्पित करने का अवसर मिला है. आज पूरा देश बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को उनकी जयंती पर आदरपूर्वक याद कर रहा है, बाबा साहेब जिस संविधान के मुख्य शिल्पकार रहे, उस संविधान ने हमें संसदीय प्रणाली का आधार दिया. देश आज जिस ऊंचाई पर है, वहां तक उसे पहुंचाने में स्वतंत्र भारत के बाद बनी प्रत्येक सरकार का योगदान है. आज ये संग्रहालय भी प्रत्येक सरकार की साझा विरासत का जीवंत प्रतिबिंब बन गया है.
‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ का उद्घाटन करने के बाद पीएम मोदी ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि ये हम भारतवासियों के लिए बहुत गौरव की बात है कि हमारे ज्यादातर प्रधानमंत्री बहुत ही साधारण परिवार से रहे हैं. सुदूर देहात से, एकदम गरीब परिवार से और किसान परिवार से आकर भी प्रधानमंत्री पद पर पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की महान परंपराओं के प्रति विश्वास को दृढ़ करता है. इस संग्रहालय में जितना अतीत है, उतना ही भविष्य भी है. ये संग्रहालय देश के लोगों को बीते समय की यात्रा करवाते हुए, नई दिशा-नए रूप में भारत की विकास यात्रा पर ले जाएगा.
पीएम मोदी ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री संग्रहालय आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान, विचार, अनुभवों का एक द्वार खोलने का काम करेगा. यहां आकर उन्हें जो जानकारी मिलेगी, जिन तथ्यों से वो परिचित होंगे, वो उन्हें भविष्य के निर्णय लेने में मदद करेगी. देश के हर प्रधानमंत्री ने संविधान सम्मत लोकतंत्र के लक्ष्यों की पूर्ति में भरसक योगदान दिया है. उन्हें स्मरण करना स्वतंत्र भारत की यात्रा को जानना है. यहां आने वाले लोग देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों की योगदान से रूबरू होंगे, उनकी पृष्ठभूमि, उनके संघर्ष-सृजन को जानेंगे. भारत लोकतंत्र की जननी है, भारत के लोकतंत्र की बड़ी विशेषता ये भी है कि समय के साथ इसमें निरंतर बदलाव आता रहा है. हर युग, हर पीढ़ी में लोकतंत्र को और आधुनिक बनाने, सशक्त करने का निरंतर प्रयास हुआ है.
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