अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस इन दिनों दो गुटो में बंटी हुई नजर आ रही है. कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच जारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई थी कि कैप्टन सरकार के खिलाफ कुछ और नेताओं ने बगावती सुर अपना लिया है. 40 से ज्यादा विधायकों ने अपने ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
कैप्टन सरकार के खिलाफ जिस तरीके से बड़ी संख्या में नेता बगावती सुर अपना रहे हैं उसको मद्देनजर रखते हुए कांग्रेस आलाकमान के आदेश पर आज शाम 5 बजे चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में सभी विधायकों को शामिल होने का निर्देश दिया है. मिल रही जानकारी के अनुसार इस बैठक को कैप्टन सरकार के लिए अग्निपरीक्षा साबित हो सकती है.
गौरतलब है कि बीते दिनों पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से देहरादून में कुछ पंजाब के नेताओं ने मुलाकात की थी. इस मौके पर हरीश रावत ने कहा था कि हमारे 4 वरिष्ठ मंत्रीगण और 3 विधायक यहां आए, उन्होंने अपनी चिंता बताई. वो पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि हमारा विरोध किसी व्यक्ति से नहीं है. हम चाहते हैं कि चुनाव में हम एक स्पष्ट रोडमैप के साथ जाएं.
रावत ने आगे कहा कि ज़िला और राज्य प्रशासन की कार्य पद्धति को लेकर उनकी कुछ शिकायतें भी हैं. कांग्रेस का कोई विधायक अगर अपने को असुरक्षित समझता है और समझता है कि प्रशासन उसको हराने की कोशिश कर सकता है या उसके ख़िलाफ काम कर सकता है तो ये बहुत चिंताजनक बात है.
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