- कोरोना संकटकाल के बीच मानसून सत्र का आगाज
- कार्यवाही से प्रश्नकाल को स्थगित करने से भड़का विपक्ष
- अधीर रंजन चौधरी ने कहा लोकतंत्र का गला घोंटने की हो रही है कोशिश
- कोरोना काल की वजह से कार्यवाही में कई तरीके का हुआ है बदलाव
कोरोना महामारी के बीच आज से संसद के मानसून सत्र का आगाज हो गया है. देश में कोरोना के बढ़ते आतंक की वजह से इस बार होने वाली सदन की कार्यवाही में कई बदलाव भी किए गए हैं.
लेकिन सबसे बड़ा बदलाव यह था कि सत्र के दौरान प्रश्नकाल को स्थगित करना.
इस मामले को लेकर आज एक बार फिर से विपक्ष ने सदन में हंगामा किया और लोकतंत्र का गला घोटने वाला करार दिया.
संसद के सदस्यों की सुरक्षा के लिए किया गया बदलाव-ओम बिरला
लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना काल में भी हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करने के लिए संसद की कार्यवाही को तय वक्त पर आयोजित किया.
कार्यवाही शुरू होने के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि यह सत्र अलग परिस्थितियों में हो रहा है.
इसलिए कुछ असुविधा सदस्यों को जरूर हो सकती है. लेकिन यह आपकी सुरक्षा के लिए जरूरी था.
कार्यवाही से प्रश्नकाल को स्थगित करने से भड़का विपक्ष
संसद की कार्यवाही शुरू होने के बाद एक बार फिर से विपक्ष ने प्रश्नकाल को स्थगित करने के मामले को लेकर हंगमा किया.
कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल संसद प्रणाली में होना बहुत जरूरी है. यह सदन की आत्मा है. कार्यवाही से प्रश्नकाल को हटाकर लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश की जा रही है.
तृणमूल कांग्रेस के साथ ही साथ असदुद्दीन औवेसी ने भी प्रश्नकाल को हटाने का विरोध किया.
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सचिवालय की अधिसूचना के खिलाफ हंगामा
गौरतलब है कि सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार इस बार मानसून सत्र के दौरान कोई प्रश्नकाल नहीं होगा. इस मामले को लेकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने जमकर हंगामा किया था.
केंद्र के इस फैसले के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने इसे सांसदों से प्रश्न पूछने का अधिकार छीनने वाला बताया था.
उन्होंने कहा कि जब संसद की कार्यवाही के लिए समय कम नहीं किया गया है तो फिर प्रश्नकाल क्यों स्थगित क्यों किया गया?
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लगाया गंभीर आरोप
वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस भी सख्त नाराजगी का इजहार किया है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी इस मामले को लेकर अपने एक पुराने ट्वीट को साझा करते हुए कहा कि मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी को लोकतंत्र को खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं.
संसद सत्र का नोटिफिकेशन ये बता रहा है कि इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा. हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना सही है?
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