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गुजरात पुलिस के रवैये पर उठ रहे हैं सवाल, CAA के समर्थन में रैली सभा को परमीशन तो विरोध के लिए क्यों नहीं?

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पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. लेकिन अब बीजेपी लोगों में जन जाग्रति लाने की कोशिश कर रही है और अलग-अलग राज्यों में प्रोग्राम कर लोगों में इस कानून को लेकर फैली गलत फहमी को दूर करने की कोशिश कर रही है. इस कानून के खिलाफ हर दिन देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं वहीं गुजरात में इस कानून को लेकर होने वाले विरोध प्रदर्शन को लेकर पुलिस पमीशन नहीं दे रही. जिसके बाद गुजरात के अलग-अलग संस्थाओं से जुड़े लोग सवाल कर रहे हैं कि कानून के समर्थन में रैली और सभा करने की इजाजत तो विरोध प्रदर्शन को लेकर इजाजत क्यों नहीं?

दरअसल आज अहमदाबाद की अलग-अलग सामाजिक संस्थाओं की ओर से नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के लिए पुलिस से परमीशन मांगी गई थी लेकिन पुलिस ने कानून व्यवस्था की दुहाई देते हुए विरोध प्रदर्शन करने के लिए परमीशन देने से इनकार कर दिया. मामले को लेकर अल्पसंख्यक अधिकार मंच के कन्वीनर शमशाद खान पठान ने गुजरात सरकार पर हमला करते हुए कहा कि” नागरिकता संसोधन कानून के समर्थन के नाम पर गांधी आश्रम के सामने गाली गलौच हो तो पुलिस को कानून व्यवस्था में कोई परेशानी नही होती है लेकिन अगर सिर्फ 50 से 60 लोग प्ले कार्ड ले कर फुटपाथ पर खड़े रह कर नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहते हैं तो कानून व्यवस्था की दुहाई देकर परमिशन नही देते हैं.अगर गुजरात मे कानून व्यवस्था वाकई में इतनी ही खराब है तो रुपानी सरकार को बर्खास्त कर के राष्ट्रपति शासन लगाया जाए”.

गौरतलब हो कि इससे पहले माइनॉरिटी कोआर्डीनेशन कमीटी के कन्वीनर मुजाहिद नफीस ने मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को खत लिखकर दलगत राजनीती से ऊपर उठकर संविधान के प्रावधानों के अनुरूप कार्य करने की सलाह दी थी. उन्होंने मांग करते हुए कहा था कि आप जानते ही हैं कि भारत सरकार ने संविधान को नजरंदाज़ करते हुए देश के नागरिकता क़ानून को संशोधित करते हुए धर्म आधारित नागरिकता कानून को मंज़ूरी दी है. इसके समर्थन में रैली करने की परमीशन दी जा रही है तो फिर विरोध प्रदर्शन के लिए क्यों नहीं क्या इस कदम से संविधान में मिले मौलिक अधिकार का हनन नहीं होता?