विधानसभा में आज पेश होने वाले नानावटी आयोग की रिपोर्ट में नकारात्म भूमिका को लेकर सबसे मुखर आर बी श्रीकुमार सामने आए उन्होंने मोदी पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि संजीव भट्ट को केस को रफा-दफा करने के लिए दस लाख का ऑफर किया गया था. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इस कमीशन को इसलिए गठित किया गया था ताकि नरेन्द्र मोदी और उनके सहयोगियों को क्लीनचिट दी जा सके.
पूर्व आईपीएस आरबी श्रीकुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच तल्खियां जगजाहिर हैं. इससे पहले उन्होंने मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल को पत्र लिखकर नानावटी आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की थी. दंगों में मोदी को एसआईटी की टीम ने जब क्लीनचिट सौंपी थी तब भी उन्होंने उस पर सवाल उठाए थे. श्रीकुमार का दावा था कि एसआईटी ने उनके द्वारा सौंपे गए महत्वपूर्ण साक्ष्यों की पूरी तरह से अवहेलना की थी.
इतना ही नहीं आरबी श्रीकुमार ने सांप्रदायिक दंगों की जाँच कर रहे आयोग को बताया है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने पुलिस को हिंसा पर क़ाबू पाने के लिए ड्यूटी निभाने से रोका था.
किताब के लिए नहीं मिल रहे अनुवादक
2015 में “Gujarat Behind the Curtain” नामक किताब लिखकर दंगों के दौरान बहुत करीब से देखी गई दास्तान विस्तृत रूप से लिखा जिसे सबसे प्रामाणिक और अहम किताब मानी जाती है. इस किताब में दंगों के दौरान सरकार के रवये पर लेखक ने परत दर परत कई ख़ुलासे किये हैं. इस किताब का हिन्दी संस्करण आ चुका है लेकिन गुजरात के लिए कोई अनुवादक नहीं मिल रहे थे इस सिलसिले में जानकारी देते हुए श्रीकुमार ने कहा कि “चौदह अनुवादकों ने किताब को गुजराती में अनुवाद करने से मना कर दिया. एक अनुवादक ने तो यहां तक कह दिया कि इस किताब पर काम करना एक सांप को पालने जैसा है. वहीं, कुछ लोगों ने किताब पढ़ने के 2 दिन बाद यह कहते हुए लौटा दिया कि वे ऐसा नहीं कर सकते.”
उन्होंने कहा कि “ मैं इस किताब को गुजराती में प्रकाशित करने के लिए उत्सुक था. क्योंकि किताब की सामग्री गुजरात के लोगों से संबंधित है. लेकिन, इसे गुजराती में लाना सबसे ज्यादा कठिन था.”
लेकिन आखिर में, प्रसिद्ध दलित लेखक और कवि रमन वाघेला ने किताब को गुजराती में अनुवाद करने पर सहमति व्यक्त की. बता दें कि, श्रीकुमार की यह किताब 2002 के गुजरात दंगे पर लिखी गई है जो गोधरा ट्रेन हादसे में 59 ‘कारसेवकों’ की मौत से शुरू होती है. इस किताब में कथित तौर पर न्याय प्रणाली के साथ किए गए ख़िलवाड़ का व्याख्यान किया गया है.
आर बी श्रीकुमार रिटायर होकर कुछ साल पहले आम आदमी पार्टी से जुड़े थे. लेकिन पार्टी गुजरात में अपना अस्तित्व टिका पाने में कामयाब नहीं हो पाई. लेकिन श्रीकुमार अक्सर 2002 दंगा को लेकर अपने बयान की वजह से सुर्खियों में बने रहते हैं.