- गुजरात में कोरोना संकटकाल के बीच रेमडेसीवर इंजेक्शन बिलिंग का फर्जी घोटाला
- फर्जी बिलिंग घोटाला मामले में क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया
- कोविफोर 100 एमजी इंजेक्शन के फर्जी बिलिंग घोटाले का खुलासा
राजकोट: गुजरात में घातक कोरोना वायरस दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. विभिन्न जिलों में हर दिन कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं.
गुजरात के राजकोट में भी कोरोना अपना घातक कहर ढा चुका है. इस बीच राजकोट से चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है.
शहर में कोरोना वायरस के इलाज में अहम भूमिका अदा करने वाली में इस्तेमाल होने वाले रेमडेसीवर इंजेक्शन की काला बाजारी के बाद फर्जी बिलिंग का घोटाला सामने आया है.
इस मामले में क्राइम ब्रांच ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
फर्जी बिलिंग के घोटाले का पर्दाफाश
राजकोट पुलिस ने कोरोना मरीजों को उचित इलाज के लिए सरकार द्वारा मदद रूप रेमडेसीवर इंजेक्शन के काला बाजारी करने वाली गैंग का भंडाफोड़ किया है.
गुजरात सरकार कोरोना के मरीजों के समुचित इलाज के लिए राहत दवाएं आसानी से उपलब्ध हों और कोई कालाबाजारी न बढ़े इसके लिए उचित कदन उठा रही है.
ऐसे में पुलिस ने इंजेक्शन के फर्जी बिलिंग घोटाले का खुलासा किया गया है.
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खाद्य और औषधि विभाग की जाँच से घोटाले का हुआ भंड़ाफोड़
खाद्य और औषधि विभाग द्वारा एक जाँच के दौरान कोविफ़ोर 100 एमजी इंजेक्शन के एक फर्जी बिलिंग घोटाले को उजागर किया गया था.
थियोस फार्मास्युटिकल्स द्वारा खाद्य एवं औषधि विभाग कार्यालय में 4.54 लाख रुपये के 110 इंजेक्शनों का फर्जी बिल पेश किया गया था. देवांत अस्पताल के नाम से फर्जी बिल बनाया गया था.
क्राइम ब्रांच ने थियोस फार्मास्युटिकल्स के निदेशक सचिन पटेल और एक निजी कंपनी के सौराष्ट्र ज़ोन के एमआर रजनीकांत फाणदू को गिरफ्तार किया है.
क्राइम ब्रांच ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले की जांच शुरू की है. क्राइम ब्रांच ने एक दिन में दो अपराध दर्ज किए हैं.
इससे पहले रेमेडिसवीर इंजेक्शन के काला बाजारी के संबंध में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
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