- कृषि बिल का विरोध करने वाले सांसदों को किया गया था सस्पेंड
- सस्पेंड सांसदों ने पूरी रात धरने पर बैठकर इस कार्रवाई का किया विरोध
- सुबह होते ही चाय नास्ता लेकर खुद पहुंच उपसभापति
- धरनारत सांसदों ने उपसभापति की चाय पीने से किया इनकार
रविवार को राज्यसभा में किसानों से जुड़े बिल पर चर्चा के दौरान सांसदों ने मर्यादा की तमाम हदों को पार कर दिया.
नतीजा ये निकला कि सोमवार को हंगामा करने वाले आठ सांसदों को सभापति वेंकैया नायडू ने पहले तो एक सप्ताह के लिए सस्पेंड कर दिया लेकिन जब इन सांसदों ने इसका विरोध किया था पूरे सत्र से ही इन्हे निलंबित कर दिया गया.
विपक्ष के आठ सांसदों के निलंबन पर सियासत तेज हो गई है.
धरनारत सांसदों को चाय पिलाने पहुंचे उपसभापित
इस बीच लोकतंत्र की खूबसूरती को बयां करने वाली एक तस्वीर सामने आई है. जिसमें धरनारत सांसदों को उपसभाति खुद चाय और नास्ता कराने पहुंचे.
इस दौरान उन्होंने कहा कि धरना करने वाले सांसद उनके सहयोगी हैं इसलिए वह इनके लिए चाय और नास्ता लाए हैं.
लेकिन राज्यसभा के सभी आठ निलंबित सांसदों ने चाय पीने से इनकार कर दिया और उपसभापति से मांग किया कि किसानों से जुड़े कृषि बिल को वापस लिया जाए.
#WATCH: Rajya Sabha Deputy Chairman Harivansh brings tea for the Rajya Sabha MPs who are protesting at Parliament premises against their suspension from the House. #Delhi pic.twitter.com/eF1I5pVbsw
— ANI (@ANI) September 22, 2020
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इन सांसदों पर गिरी थी गाज
कल राज्यसभा की कार्रवाई शुरू होते ही सदन के सभापति ने तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन. कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा. आम आदमी पार्टी के संजय सिंह.
माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम को निलंबित कर दिया था. जिसके बाद से निलंबित सांसद संसद परिसर में मौजूद गांधी प्रतिमा के पास धरना कर रहे हैं.
सभापति वेंकैया नायडू ने की थी बड़ी कार्रवाई
राज्यसभा में हंगमा करने वाले 8 विपक्षी सदस्यों को सस्पेंड करने के दौरान सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि कल जो कुछ सदन में हुआ वह बहुत बुरा था.
हंगमा के दौरान माइक तोड़ दिया गया पेपर फेंका गया यहां तक कि उपसभापति को धमकी भी दी गई उन्हे अपनी जिम्मेदारी को निभाने से रोकने की कोशिश की गई जो निंदनीय है.
उन्होंने हंगामा करने वाले 8 सदस्यों को सदन से एक हफ्ते के लिए सस्पेंड कर दिया और उपसभापति के खिलाफ पेश किया गया अविश्वास प्रस्ताव भी खारिज कर दिया.
वैंकेया नायडू ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव निर्धारित प्रारूप में नहीं है और इसके लिए जरूरी 14 दिनों के समय का भी पालन नहीं किया गया है.
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