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क्रिप्टोकरेंसी पर RBI और केंद्र की अलग-अलग राय, डिप्टी गवर्नर ने बैन करने की मांग

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मुंबई: बीते दिनों आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आरबीआई 2022-23 में ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों की मदद से डिजिटल करेंसी जारी करेगा. यह अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा. डिजिटल करेंसी को साल 2023 में लॉन्च किया जाएगा. भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रविशंकर ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का तर्क देते हुए कहा कि यह पोंजी स्कीम से भी बदतर हैं और देश की वित्तीय संप्रभुता को खतरे में डालता है.

अपनी बात रखते हुए आरबीआई के डिप्टी गवर्नर शंकर ने कहा कि क्रिप्टो-प्रौद्योगिकी सरकारी नियंत्रण से बाहर रहना फलसफा पर आधारित है, विशेष रूप से नियामक वित्तीय प्रणाली को बायपास करने के लिए विकसित की गई है. उन्होंने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी मौद्रिक प्रणाली, मौद्रिक प्राधिकरण, बैंकिंग प्रणाली और सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने की सरकार की क्षमता को नष्ट कर सकती है.

भारतीय बैंक संघ के 17वें वार्षिक बैंक प्रौद्योगिकी सम्मेलन और पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए शंकर ने कहा, “सभी कारकों को देखते हुए, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि क्रिप्टोकुरेंसी पर प्रतिबंध लगाना शायद भारत के लिए सबसे अच्छा विकल्प है.”

उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड ने भी क्रिप्टोकरेंसी पर टिप्पणी की थी. शनिवार को उन्होंने कहा कि देश में चल रही निजी क्रिप्टोकुरेंसी कानूनी नहीं थी और भविष्य में इसकी कानूनी स्थिति के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता था. जबकि केंद्र सरकार इस साल पेश हुए बजट में साफ कह चुकी है कि डिजिटल करेंसी से होने वाली आमदनी पर अब 30 फीसदी टैक्स देना होगा. इसके अलावा वर्चुअल करेंसी ट्रांसफर करने पर भी 1% टीडीएस लगेगा.

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