आरिफ आलम, अहमदाबाद: नौकरशाही में क्या सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है? यह सवाल शासन एवं प्रशासन पर गहरी नजर रखने वालों के बीच काफी चर्चा में है. एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ महीने के अंदर कई IAS अफसरों के इस्तीफे के बाद नौकरशाही वर्ग भी दो हिस्से में बंट गया है. IAS बिरादरी में गोलबंदी होने के साथ-साथ चिंताएं भी बढ़ गई हैं. गौरतलब है कि सबसे पहले पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग ने जुलाई में इस्तीफा दिया था उसके बाद कन्नन भी अपने दिल की आवाज को सुनते हुए इस्तीफा दे दिया.इसके पहले शाह फैसल कश्मीर के हालात से परेशान होकर इस्तीफा दे दिये थे. कर्नाटक कैडर के अधिकारी शशिकांत ने भी लोकतंत्र के सभी संस्थानों को मोदी सरकार द्वारा दबाने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया. त्यागपत्रों का दौर इतने पर ही नहीं रुका केन्द्र सरकार के नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ महाराष्ट्र के IPS अब्दुर रहमान ने इस्तीफा दे दिया. ऐसे में अब एक और नौजवान अफसर के इस्तीफे की खबर अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम-यूनियन टेरिटरी से सामने आ रही है, जिसने केंद्र सरकार के साथ होने वाले मतभेद के बाद इस्तीफा दे दिया है. आईये जानते हैं पिछले कुछ महीनों में कितने नौकरशाहों ने इस्तीफा दिया और उसके पीछे की वजह क्या रही थी.
कशिश मित्तल का इस्तीफा
2011 बैच के IAS ऑफिसर कशिश मित्तल ने 6 सितंबर को केंद्र से मतभेदों के बीच इस्तीफा दे दिया है. मित्तल AGMUT (अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम-यूनियन टेरिटरी) कैडर के अधिकारी हैं, जो कि NITI आयोग के वाइस-चेयरमैन राजीव कुमार के एडिशनल प्रिंसिपल सेक्रेटरी के तौर पर तैनात हैं. ThePrint ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि उनका ट्रांसफर अरुणाचल प्रदेश किया जा रहा था और वो इससे खुश नहीं थे. रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा नहीं है कि पहली बार कशिश मित्तल ट्रांसफर को लेकर नाराजगी जता रहे हैं, साल 2016 में उनका चंडीगढ़ से ट्रांसफर कर दिया गया था. इसके बाद कशिश ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी.
सुभाष गर्ग
वित्त सचिव के लिए नामित किए जाने के बाद आश्चर्यजनक तरीके से बिजली सचिव बना दिए जाने पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी सुभाष चंद्र गर्ग ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन कर सभी को हेरान कर दिया. गर्ग ने जिस दिन इस्तीफा दिया उस दिन वह अपने दफ्तर आए थे लेकिन दोपहर बाद दफ्तर से निकल गए और इस्तीफे का ऐलान कर दिया बताया जाता है कि ऊर्जा मंत्रालय को वित्त मंत्रालय की तुलना में अपेक्षाकृत हल्का विभाग माना जाता है.
राजस्थान कैडर के 1983 बैच के आईएएस अधिकारी गर्ग 2014 में विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक बनने के बाद चर्चा में आए थे. वह वहां 2017 तक रहे. उसके बाद उन्हें जून 2017 में आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव बनाया गया. मार्च 2019 में ए.एन. झा के सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें वित्त सचिव बनाया गया. वित्त मंत्रालय में चली आ रही परंपरा के मुताबिक मंत्रालय के पांच सचिवों में से जो भी सबसे वरिष्ठ होता है उसे वित्त सचिव नामित किया जाता है.
कन्नन गोपीनाथन
केरल कैडर के IAS और पिछले दिनों बाढ़ राहत कार्यक्रमों को लेकर चर्चा में रहे IAS कन्नन गोपीनाथन ने इस्तीफे का कारण कश्मीर मुद्दा बताया था. उन्होंने कश्मीर में चल रहे ‘ब्लैकआउट’ और ‘मौलिक अधिकारों के हनन’ को इस्तीफे की वजह बताया. कन्नन ने केरल राज्य में कई अहम पदों पर काम किया है. वो ऊर्जा और अपरंपरागत ऊर्जा स्त्रोत विभाग के सचिव रहे हैं. कन्नन ने डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पद पर भी काम किया है. क्विंट से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार कश्मीर या किसी और भी मसले पर कोई भी फैसला ले सकती है, ये उसका हक है, लेकिन लोगों की आवाज को दबाना उसका हक नहीं है.
शशिकांत सेंथिल
40 वर्षीय आईएएस अधिकारी शशिकांत सेंथिल कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी थे. यूपीएससी की परीक्षा में वह तमिलनाडु के टॉपर थे जबकि देश में उनका 9वां रैंक प्राप्त किया था .सेंथिल ने इस्तीफा देते वक्त कहा कि अनैतिक तरीके से लोकतंत्र के सभी संस्थानों को दबाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में वो सिविल सर्विस में रहना नहीं चाहते हैं. मैंने यह फ़ैसला इसलिए लिया क्योंकि मेरा मानना है कि ऐसे समय पर प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर काम करते रहना अनैतिक होगा जबकि हमारे समृद्ध लोकतंत्र के मौलिक आधारभूत स्तंभों से समझौता किया जा रहा है.
मेरा यह भी मानना है कि आने वाले दिन देश के सामने बेहद कठिन चुनौतियां पेश करेंगे. लिहाज इस समय अपने काम को जारी रखने के लिए आईएएस से बाहर होना बेहतर होगा. अब इसमें रहते हुए आगे और काम नहीं किया जा सकता. मैं एक बार फिर अपने साथ किए सभी लोगों और काम के दौरान बने सभी मित्रों का आभार व्यक्त करता हूं. मैं अपने सहयोगियों और उनके परिवारों को आगे के लिए शुभकामनाएं देता हूं.
शाह फैसल ने दिया इस्तीफ़ा
IAS अफसर शाह फैसल ने इसी साल अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है. शाह फैसल ने सिविल सेवा परीक्षा (2010) में टॉप किया था और वे जम्मू-कश्मीर से थे. शाह फैसल ने कश्मीर में कथित हत्याओं और इन मामलों में केंद्र की ओर से गंभीर प्रयास नहीं करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया. 35 वर्षीय शाह फैसल ने फेसबुक पर एक संक्षिप्त बयान में लिखा कि उनका इस्तीफा, ‘जम्मू कश्मीर राज्य की विशेष पहचान पर कपटपूर्ण हमलों तथा भारत में अति-राष्ट्रवाद के नाम पर असहिष्णुता एवं नफरत की बढ़ती संस्कृति के विरुद्ध है.’
अब्दुर रहमान का CAA के विरोध में इस्तीफा
आपको याद होगा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद तमाम तरह के प्रतिबंध लगाए जाने और नागरिकों के मौलिक अधिकार छीने जाने की बात कहते हुए उन्होंने आईएएस कन्नन गोपीनाथन ने नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिया था. अब नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में आईपीएस अफ़सर अब्दुर रहमान ने इस्तीफ़ा दे दिया है. महाराष्ट्र कैडर के आईपीएस अफ़सर रहमान ने एक और ट्वीट कर कहा, ‘यह कानून भारत के धार्मिक बहुलतावाद के ख़िलाफ़ है. मैं सभी न्यायप्रिय लोगों से अनुरोध करता हूँ कि वे लोकतांत्रिक तरीके से इस कानून का विरोध करें. यह संविधान की मूलभूत भावना के खिलाफ है.
पिछले कुछ महीनों से जिस तरीके से आईपीएस अधिकारी इस्तीफा दे रहे हैं उससे साफ हो जाता है कि ये अधिकारी मोदी सरकार की नीतियों से परेशान नजर आ रहे हैं. दूसरा सवाल ये उठता है कि केजरीवाल सरकार को एक लम्बे वक्त तक घेरने वाली अधिकारियों का एसोसिएशन इस मामले को लेकर चुप क्यों है?
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