गांधीनगर: गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने एक रिपोर्ट जारी किया है. इस रिपोर्ट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की प्रशंसा की गई है. राज्य सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मनरेगा ने पिछले साल लॉकडाउन में अपने गांव लौटने वाले मजदूरों के लिए संकटमोचन के रूप में काम किया है. Rupani government mnrega praise
गुजरात सरकार ने मनरेगा योजना की तारीफ Rupani government mnrega praise
यह रिपोर्ट राज्य की जलवायु परिवर्तन विभार की ओर से तैयार की गई है. जिसका समर्थन आईआईएम अहमदाबाद और आईआईटी गांधीनगर ने किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को संकट के समाधान के रूप में कृषि को प्राथमिकता देनी चाहिए. इतना ही नहीं रिपोर्ट में दाहोद आदिवासी जिले सहित कुछ क्षेत्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड से उबरने के लिए नई मनरेगा रणनीति बनानी चाहिए.
कोरोना की वजह से गांव लौटे थे लाखों लोग Rupani government mnrega praise
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल कोविड-19 के बाद करीब एक लाख प्रवासी मजदूर दाहोद में अपने गांव लौट आए थे. सरकार रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए इस क्षेत्र में काम कर रही है. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मनरेगा मजबूर मजदूरों के घर वापसी के बाद संकटमोचन के रूप में काम किया है. गौरतलब है कि मनरेगा की शुरुआत 2006 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान हुई थी. Rupani government mnrega praise
मनरेगा के तहत गुजरात में सबसे ज्यादा मजदूर दाहोद में हैं. 2.38 लाख से ज्यादा लोग इस योजना से जुड़े हुए हैं. इसके अलावा भावनगर में 77 हजार 659, नर्मदा जिला में 59 हजार से ज्यादा लोग इस योजना से जुड़कर रोजगार कर रहे हैं. Rupani government mnrega praise
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