काबुल: अफगानिस्तान में तख्तापलट के बाद से चीन तालिबान की हर संभव मदद करता रहा है, लेकिन भारत के लिए चिंता की बात यह है कि रूस ने अब तालिबानी नेताओं को अपने देश आने का न्यौता दिया है. जिससे साफ हो गया है कि चीन के बाद अब रूस भी तालिबान के साथ अपने रिश्तों को सुधारना चाहता है.
रूसी राष्ट्रपति के विशेष दूत से जब पत्रकारों ने इस सिलसिले में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि 20 अक्टूबर को मास्को में अफगानिस्तान को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाना है. इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए तालिबान को आमंत्रित किया जाएगा.
इससे पहले इसी तरह का सम्मेलन मार्च में रूस में आयोजित किया गया था. रूस, अमेरिका, चीन और पाकिस्तान ने इस मंच से एक संयुक्त बयान जारी कर अफगानिस्तान में सभी पक्षों से शांति समझौते की अपील की थी.
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने सवाल पूछा है कि क्या अफगानिस्तान में मानवीय संकट बढ़ने पर भी रूस तालिबान की मदद करना चाहता है?
गौरतलब है कि रूस ने अब तक तालिबान सरकार को मान्यता देने से इनकार कर दिया है. इसके उलट वह तालिबान से बातचीत के प्रति सकारात्मक रुख अपना रहा है. एक रिपोर्ट यह भी है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद चीन और रूस भी इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
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