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2020 की घटनाओं ने भारत-चीन संबंधों पर बढ़ाया अप्रत्याशित दबाव- विदेश मंत्री

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भारत और चीन के बीच सीमा पर बढ़े गतिरोध के बीच गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को अप्रत्याशित रूप से दबाव बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान, संवेदनशीलता, साझा हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों.

जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा कि भारत और चीन के संबंध दोराहे पर हैं और इस समय चुने गए विकल्पों का न केवल दोनों देशों बल्कि पूरी दुनिया पर प्रभाव पड़ेगा.

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विदेश मंत्री एस जयशंकर (S. Jaishankar) ने चीनी अध्ययन पर 13वें अखिल भारतीय सम्मेलन को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा,

‘‘वर्ष 2020 में हुई घटनाओं ने हमारे संबंधों पर वास्तव में अप्रत्याशित दबाव बढ़ा दिया है.

उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में पिछले वर्ष हुई घटनाओं ने दोनों देशों के संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा कि जो समझौते हुए हैं, उनका पूर्णतया पालन किया जाना चाहिए .उन्होंने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाना चाहिए.

एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं

विदेश मंत्री (S. Jaishankar) ने स्पष्ट किया कि यथास्थिति को बदलने का कोई भी एकतरफा प्रयास स्वीकार्य नहीं है. विदेश मंत्री ने कहा कि इसने (लद्दाख की घटनाओं ने) न सिर्फ सैनिकों की संख्या को कम करने की प्रतिबद्धता का अनादर किया, बल्कि शांति भंग करने की इच्छा भी प्रदर्शित की.

जयशंकर (S. Jaishankar) ने कहा कि हमें चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है. चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि संबंधों को आगे तभी बढ़ाया जा सकता है जब वे आपसी सम्मान एवं संवेदनशीलता तथा आपसी हित जैसी परिपक्वता पर आधारित हों .

विदेश मंत्री ने कहा,

‘‘हमारे सामने मुद्दा यह है कि चीन का रुख क्या संकेत देना चाहता है, यह कैसे आगे बढ़ता है और भविष्य के संबंधों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं.’’

उन्होंने ने कहा कि सीमा पर स्थिति की अनदेखी कर जीवन सामान्य रूप से चलते रहने की उम्मीद करना वास्तविक नहीं है. जयशंकर ने कहा कि अगर संबंधों को स्थिर और प्रगति की दिशा में लेकर जाना है तो नीतियों में पिछले तीन दशकों के दौरान मिले सबकों पर ध्यान देना होगा.

विदेश मंत्री (S. Jaishankar) ने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में शांति स्थापना चीन के साथ संबंधों के सम्पूर्ण विकास का आधार है और अगर इसमें कोई व्यवधान आयेगा तो नि:संदेह बाकी संबंधों पर इसका असर पड़ेगा.

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