आज देश की सर्वोच्च न्यायालय में तालाबंदी के दौरान पूरी सैलरी और नौकरी से नहीं निकालने वाले गृह मंत्रालय के सर्कुलर से सुनवाई हुई. मामले को लेकर कोर्ट ने उद्योगों को कर्मचारियों से बातचीत कर मामले का हल निकालने का निर्देश दिया है. साथ ही साथ कोर्ट ने केंद्र को इस मामले पर 4 हफ्ते में जवाब देने का आदेश दिया है लेकिन तब तक वेतन नहीं देने वाले और नौकरी से निकालने वाले उद्योगों पर कोई दंडात्मकर कार्यवाही नहीं की जाएगी.
कोर्ट के फैसले से निजी कारखानों और उद्योगों को बड़ी राहत मिली है. जो तालाबंदी के दौरान अपने श्रमिकों को सैलरी देने में नाकाम साबित हुए थे. कोर्ट ने साफ कर दिया कि सरकार निजी नियोक्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम अगले 4 हफ्तों तक नहीं उठाएगी.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि उद्योगों और श्रमिकों को एक दूसरे की जरूरत है और उन्हें पारिश्रमिक के भुगतान का मुद्दा एक साथ बैठकर सुलझाना चाहिए.
केंद्र के इस फैसले के खिलाफ एमएसएमई सहित कई कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसपर कोर्ट आज महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि सैलरी भुगतान को लेकर नियोक्ता और कर्मचारी आपस में बातचीत कर मामले का हल निकालें. वहीं, इस मामले को लेकर जुलाई के आखिरी हफ्ते में फिर से सुनवाई की जाएगी.
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