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जामनगर कस्टोडियल डेथ मामला, सुप्रीम कोर्ट में संजीव भट्ट ने दाखिल की जमानत याचिका

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अहमदाबाद: गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जी दायर कर 1990 के जामनगर कस्टोडियल डेथ केस में जमानत मांगी है.

25 सितंबर, 2019 को, गुजरात हाईकोर्ट ने जामनगर कस्टोडियल डेथ केस में संजीव भट्ट की जमानत को खारिज कर दिया था. Sanjeev Bhatt bail plea

जिसके बाद अब उन्होंने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. भट्ट की जमानत याचिका पर आज सुनवाई होने की उम्मीद जताई जा रही है.

गुजरात हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका

गुजरात उच्च न्यायालय ने 1990 के जामनगर कस्टोडियल डेथ केस में पूर्व आईपीसी संजीव भट्ट की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि भट्ट कोर्ट और सच्चाई का अनादर करते हैं इसलिए उनकी जमानत याचिका खारिज की जाती है.

संजीव भट्ट ने 25 सितंबर, 2019 के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जामनगर सत्र न्यायालय के आजीवन कारावास की सजा के फैसले के खिलाफ भी गुजरात उच्च न्यायालय याचिका दाखिल की गई है जो अभी लंबित है. Sanjeev Bhatt bail plea

30 साल पुराना कस्टोडियल डेथ मामला

20 जून, 2019 को, जामनगर की सत्र अदालत ने 30 साल पुराने कस्टोडियल डेथ मामले में संजीव भट्ट और एक अन्य एक पुलिस अधिकारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

संजीव भट्ट इन दिनों पालनपुर जेल में बंद हैं. उनके खिलाफ 1996 में एनडीपीएस मामले में भी केस दाखिल किया गया है. Sanjeev Bhatt bail plea

संजीव भट्ट ने 2002 के सांप्रदायिक दंगों में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भागीदारी का आरोप लगाते हुए अदालत में एक हलफनामा दायर किया था.

1990 के जामनगर कस्टोडियल डेथ केस में संजीव भट्ट और एक अन्य पुलिस अधिकारी, प्रवीण सिंह झाला को स्थानीय सत्र अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

जब जामनगर में जब दंगा भड़क उठा था उस वक्त संजीव भट्ट जामनगर जिला के पुलिस अधीक्षक थे. Sanjeev Bhatt bail plea

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