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किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राइट टू प्रोटेस्ट के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते

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तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट (SC) में सुनवाई हुई. इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि वो फिलहाल कानूनों की वैधता तय नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट (SC) ने कहा कि आज हम जो पहली और एकमात्र चीज तय करेंगे, वो किसानों के विरोध प्रदर्शन और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर है. कानूनों की वैधता का सवाल इंतजार कर सकता है.

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किसान आंदोलन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (SC) में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा,

सुप्रीम कोर्ट किसानों के प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करती है और वो किसानों के राइट टू प्रोटेस्टके अधिकार में कटौती नहीं कर सकती है.

सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा,

हमें यह देखना होगा कि किसान अपना प्रदर्शन भी करे और लोगों के अधिकारों का उलंघन भी न हो. हम किसानों की दुर्दशा और उसके कारण सहानुभूति के साथ हैं लेकिन आपको तरीके को बदलना होगा और आपको इसका हल निकालना होगा.

किसानों के आंदोलन के मसले पर सुप्रीम कोर्ट (SC) की टिप्पणी पर पूछे गए एक सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा, “शीर्ष अदालत से हमारी यही गुहार है कि पहले नए कृषि कानूनों पर रोक लगाई जाए, फिर समस्याओं के समाधान निकालने का आदेश दिया जाए.” एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट (SC) ने मामले में केंद्र सरकार के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा की सरकारों को नोटिस जारी कर किसानों के मसले के समाधान के लिए कमेटी बनाने की बात कही थी.

किसान गांव जाकर कोरोना फैलाएंगे

किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट (SC) में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उनमें से कोई भी फेस मास्क नहीं पहनता है, वे बड़ी संख्या में एक साथ बैठते हैं. कोविड-19 एक चिंता का विषय है, वे गांव जाएंगे और वहां कोरोना फैलाएंगे. किसान दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते.

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