वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के चलते इस बार गर्म हवाएं, उष्णकटिबंधीय तूफान और आग की घटनाएं गंभीर रूप धारण कर सकती हैं. लॉकडाउन के कारण ये घटनाएं और भी विकराल रूप धारण कर सकती हैं क्योंकि इनसे निपटने के लिए उचित प्रयास नहीं हो सके हैं. नतीजा यह होगा कि यह साल सबसे गर्म हो सकता है.
इंटरनेशनल सेंटर फार क्लाइमेट चेंज एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गई है कि वर्ष 2020 अब तक का सबर्स गर्म साल हो सकता है. रिपोर्ट के अनुसार भीषण गर्मी का सर्वाधिक असर उत्तरी गोलार्द्ध में पड़ने वाले देशों पर पड़ेगा. भारत, बांग्लादेश समेत इन देशों में आने वाले हफ्तों में लू का प्रकोप और तेज होगा. भारत, बांग्लादेश हाल में ही एक अम्फान तूफान का सामना कर चुके हैं जिससे कई राज्यों में तबाही हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण गोलार्द्ध समेत दुनिया के अन्य हिस्से भी चरम मौसमी घटनाओं का सामना कर रहे हैं. पूर्वी अफ्रीका के कुछ हिस्सों को वर्तमान में भारी बारिश के बाद विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन का खतरा महसूस करना पड़ रहा है. अफ्रीकी देशों से लेकर भारत तक में कई हिस्से टिड्डी दलों के हमले के शिकार हो रहे हैं.
विशेषज्ञों ने कहा कि चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि हो रही है. कार्बन उत्सर्जन से तूफान, हीटवेब और आग का खतरा बढ़ता है. उच्च तापमान के लंबे समय तक जारी रहने से लू पैदा होती है. जंगलों में आग लगती है. इस साल यह खतरा बढ़ सकता है. ग्लोबल क्लाइमेट लीड के डॉ. कैट क्रैमर ने कहा कि कोविड के चलते लोगों का एक से दूसरे स्थान नहीं जाने और अपने घरों में कैद रहने के कारण वे गर्मी और तूफानों के ज्यादा शिकार हो सकते हैं. स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता की कमी भी इसमें मुश्किल पैदा करेगी.
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