गांधीनगर: गुजरात में शराबबंदी के बावजूद आसानी से शराब मिलने और राजस्थान में शराबबंदी लागू किए जाने को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के बीच पिछले दिनों जमकर वाकयुद्ध चला. रुपाणी ने जहां गहलोत के इस बयान को गुजरात का अपमान बताया था वहीं गहलोत ने मामले को लेकर कहा था कि अगर गुजरात में शराब मिलना बंद हो गई है और सरकार के दावे में सच्चाई है तो वह राजनीति छोड़ देंगे. इन दोनों नेताओं के वाकयुद्ध के बाद गुजरात सरकार ने शराबबंदी के कानून को और सख्त बना दिया. लेकिन गुजरात विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सरकार ने जो आकड़े पेश किये उसमें अशोक गहलोत की बातों पर मुहर लगाते हुए रुपाणी सरकार की दावों की धज्जियां उड़ा दी हैं. सरकार ने विधानसभा को बताया कि राज्य भर से पिछले दो वर्षों के दौरान 9081 शिकायतें मिली हैं. जो कि गुजरात के 33 जिलों से दर्जन भर से ज्यादा प्रति दिवस हैं.
गुजरात में शराब पर प्रतिबंध है बावजूद इसके गुजरात सरकार ने विधानसभा में शराब की शिकायतों को लेकर आंकड़े जारी किए हैं. गुजरात सरकार ने भी माना है कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद यहां खुलेआम शराब बेची और पी जाती है. गुजरात विधानसभा में इन दिनों बजट सत्र का प्रश्नकाल चल रहा है. इस बीच कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री से शराब माफिया और उनके ठिकाने को लेकर सवाल पूछा था. इसके जवाब में सरकार ने आज विधानसभा में आंकड़ा जारी किया. अब तक सरकार शराब माफिया के 9081 ठिकानों की शिकायतें मिली हैं. इसमें सबसे ज्यादा अहमदाबाद जबकि सबसे कम पोरबंदर जिले से शिकायते मिलीं है, महिसागर और छोटा उदयपुर से सरकार को एक भी शिकायत नहीं मिली है.
गुजरात में शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद खुलेआम शराब बिक रही है. अहमदाबाद में सबसे ज्यादा 4984 शिकायतें बूटलेगरों से संबिधित प्राप्त हुई हैं. सबसे ज्यादा शिकायतों में अहमदाबाद के बाद सूरत का नंबर आता है. सूरत में पुलिस को 1980 शिकायत मिली हैं. मेहसाणा में 328 शिकायतें मिली हैं.
जिले के अनुसार शराब बेचने वाले बूटलेगरों के सिलसिले में बात करें तो अमरेली119, गांधीनगर 145, गीर सोमनाथ 129, जूनागढ़ 199, भरूच 225, वड़ोदरा 258, राजकोट 104, साबरकांठा 155 में शिकायत दर्ज की गई है. जबकि आणंद में44, पाटन में 52, भावनगर में 56, सुरेन्द्रनगर में 59, बनासकांठा में 17, बोटाद में 18, देवभूमि द्वारका में 16, नवसारी में 24, नर्मदा में 21 शिकायतें दर्ज की गईं हैं.
इन जिले में 10 से कम शिकायतें
सबसे कम शिकायतों में, अरवल्ली में 2, पोरबंदर में 1, डांग में 2, मोरबी में 9 और छोटा उदयपुर और महिसागर जिले में एक भी शिकायत दर्ज नहीं की गई.
पीयेगा गुजरात जीएगा गुजरात
1960 में महाराष्ट्र से अलग होने के बाद गुजरात में शराबबंदी यानी शराब बेचने पर और पीने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है. इतना ही नहीं नशाबंदी कानून को सख्त बनाते हुए सरकार ने सजा को और बढ़ा दिया है. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम से ही गांधीनगर शहर की स्थापना की गई थी. गुजरात में शराब बंदी कानून को इसीलिए लागू किया गया था क्योंकि ये गांधी का गुजरात है. लेकिन सवाल ये उठता है कि सिर्फ कानून सख्त बनाने से क्या होता है. जब इस कानून को अमलीजामा पहनाया ही ना जा सके?
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