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अहमदाबाद शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ाएंगे शाही इमाम, कहा संविधान को बचाना हमारी जिम्मेदारी

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देश भर में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध बढ़ता ही जा रहा है. दिल्ली में होने वाले शाहीन बाग के तर्ज पर अब देश के कई हिस्सों शाहीन बाग बनता जा रहा है. अहमदाबाद के अजित मिल में पिछले दिनों एक तिरंगे के साथ जो विरोध प्रदर्शन चंद नौजवानों ने शुरू किया था अब उसकी कमान अहमदाबाद की महिलाओं ने संभाल लिया है. इसलिए अब अजित मिल को अहमदाबाद का शाहीन बाग कहा जा रहा है.

अहमदाबाद के शाहीनबाग में कल जहां कांग्रेस के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा और प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर इस कानून को वापस लेने की मांग की, वहीं पिछले दिनों वडगाम के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी ने धरनास्थल पर बैठे लोगों को न सिर्फ संबोधित किया बल्कि रात भर धरना स्थल पर ही बैठ कर इस काले कानून का विरोध किया. मेवानी ने कहा “यह कानून मुस्लिम ही नहीं बल्कि देश विरोधी है. हो सकता है मुसलमानों के पास कागज निकल आये लेकिन जंगल में रहने वाले आदिवासी, प्रकृति पूजक, नट, घुमंतू, छारा, मदारी इत्यादि के पास कागज कहां से आएंगे. गरीब मजदूर जो रोज़ाना पसीना बहाते हैं उनके पास पसीने के अलावा कुछ नहीं है.”

चंद लोगों द्वारा शुरू किए गए इस धरने में अब बड़ी संख्या में गैर मुस्लिम भी शामिल हो रहे हैं. राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच, भीम आर्मी बामसेफ, आखिल भारतीय भील संगठन, जन संघर्ष मंच सहित ढेर सारे प्रोफेसर, वकील, छात्र, प्रोफेशनल्स शामिल हो चुके हैं. लंबे समय से सामाजिक मुद्दों की लड़ाई लड़ने वाली निर्जरी सिन्हा और भावना बेन जैसी क्रांतिकारी महिला भी धरने में शामिल होकर महिलाओं से संवाद कर अपने तजुर्बे साझा कर उनका हौसला बढ़ा रही हैं.

अहमदाबाद के जामा मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती सब्बीर आलम सिद्दीकी भी आज अजित मिल जाने वाले हैं. इस सिलसिले में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि “विरोध प्रदर्शन करने वाले लोगों का हौसला बढ़ाने के लिए हम लोगों से मुलाकात करने वाले हैं. नागरिकता कानून संविधान के खिलाफ है इसलिए देश के तमाम लोगों को आगे आना चाहिए मुल्क सभी का है और जब मुल्क के संविधान को खत्म करने की कोशिश की जा रही तब हम सभी की जिम्मेदारी बन जाती है कि उसे बचाया जाए. इतना ही नहीं उन्होंने इस कानून का विरोध करते हुए कहा कि गुजरात चांद कमीटी से जुड़े लोगों के साथ ही साथ शहर के उलेमाओं को भी हमने दावत दी है ताकि कानून का विरोध करने वाले लोगों को हम बता सकें कि वह अकेले नहीं हैं”

गौरतलब हो कि अहमदाबाद के अजित मिल इलाके में कुछ नौजवान पिछले आठ दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. इस सिलसिले में जानकारी देते हुए आयोजक सूफियान राजपूत का कहना है “प्रगतिशील, दलित समाज, आदिवासी, महिला, वामपंथी, समाजवादी और गांधीवादी विचारों के लोग बड़ी संख्या में हमारे साथ जुड़ रहे हैं. गोदरेज सिटी घाटलोडिया जैसे इलाकों से हिंदू आ रहे हैं.अब यह आन्दोलन आम जनता का बन चुका है.”

वहीं एक अन्य आयोजक कलीम सिद्दीकी का कहना है अजित मिल का धरना बिल्कुल शाहीन बाग की तरह चल रहा है. जब तक शाहीन बाग की बहनें सड़क पर हैं अहमदाबाद की आम जनता उनके साथ है. यह आन्दोलन अनिश्चित कालीन हैं. हमारी कामयाबी यह है कि हम आम महिलाओं के अलावा सभी समुदाय का समर्थन जुटा पाए.