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शराबबंदी के ड्रामे से बाहर निकले गुजरात सरकार, शंकर सिंह ने फिर उठाया मुद्दा

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गांधीनगर: गांधी के गुजरात में शराब पीना और बनाने पर संपूर्ण प्रतिबंध है. लेकिन शराब को लेकर अक्सर गुजरात में सियासत तेज हो जाती है. जहरीली शराब पीने से 31 लोगों की मौत के बाद शराब पर लगे प्रतिबंध हटाने को हटाने की मांग तेज हो गई है. गुजरात में खुलेआम शराब पी जाती है तो फिर शराबबंदी क्यों? इस मुद्दे को लेकर शंकरसिंह वाघेला फिर से मैदान में आ गए हैं. जहरीली शराब मामले को लेकर वाघेला ने कहा कि शराबबंदी कानून का दिखावा किया जा रहा है.

पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने फिर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि गुजरात में हर जगह शराब बिकती है. शराबबंदी सिर्फ नाम की है. नाममात्र का प्रतिबंध लगाने का क्या मतलब है? गुजरात से शराबबंदी क्यों नहीं हटाई जाती? वाइब्रेंट गुजरात के नाम पर करोड़ों खर्च करके और गुजरात को वाइब्रेंट मोड पर रखकर गुजरात की इस सरकार को लठ्ठा कांड की आज की घटना से सबक लेना चाहिए कि शराबबंदी और नशा क्या है. यह पहली बार नहीं है. इससे पहले भी कई लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत हो चुकी है. गांधीजी के नाम पर गुजरात नशाबंदी नीति को नहीं छोड़ सकता.

मैं गुजरात के लोगों से अपील करता हूं कि कृपया शराबबंदी के ड्रामे से बाहर निकलें, वैज्ञानिक तरीके से नई नशा-विरोधी नीति लागू की जाए, जिसमें खराब और जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत न हो, जनता और सरकार को इसकी चिंता करनी चाहिए.

शंकर सिंह वाघेला शराब बंदी हटाने की कर चुके हैं वकालत

इससे पहले भी गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला ने गुजरात में शराब पर प्रतिबंध हटाने को लेकर एक बयान जारी किया था. उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों शराब पर लगे प्रतिबंध को हटाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे क्योंकि दोनों को फायदा हो रहा है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि गुजरात में शराब बंदी एक दिखावा है इसे समाप्त कर दिया जाना चाहिए. उन्होंने गुजरात से शराब बंदी हटाने की मांग करते हुए ट्वीट किया था और एक वीडियो भी साझा किया था.

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