भारत और चीन के बीच जारी गतिरोध का असर अब देश के राजनीतिक गलियारों में भी देखने को मिलने लगा है. तमाम विरोधी पार्टियां केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांग रही हैं. इस बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर हमला बोला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस मामली की असलियत बताने को कहा है. अपने मुख पत्र सामना में शिवसेना ने लिखा है कि चीन पाकिस्तान की तरह नहीं है ये समझने की जरूरत है.
शिवसेना ने कहा कि 20 जवानों की शहादत के बाद भी पीएम का जनता को वस्तुस्थिति बताने के लिए सामने ना आना धक्का देने वाला है. सामना के ताजा लेख में कहा गया है कि पीएम ने कहा जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी और जवाब देने मे सक्षम जैसी चेतावनी दी, लेकिन असल में क्या हुआ अब तक नहीं बताया. किसी भी तरह से गोली बंदूक का इस्तेमाल ना हुए बिना, अगर इतनी बड़ी हानि होती है तो फिर अस्त्र बनाए क्यों गए. चीन, नेपाल और पाकिस्तान अपने किसी भी पड़ोसी देश से संबंध ठीक नहीं. चीन, पाकिस्तान नहीं ये समझना होगा.
शिवसेना जवानों की शहादत पर बात करते हुए लिखा, “हिंदुस्थान और चीन के सैनिकों में सोमवार को युद्ध हुआ. यह युद्ध रक्तरंजित है. इसमें हिंदुस्थान के 20 जवानों के शहीद होने की खबर संतापजनक है. लेकिन यह युद्ध नहीं, बल्कि दो देशों के सैनिकों के बीच हुई मारपीट है, ऐसा कहा जा रहा है. मारपीट में हमारे 20 जवान शहीद होते हैं. चीन के लगभग 40 जवानों के मारे जाने की खबर आती है. मतलब दो देश सीमा पर जो कुछ हाथ में आए, उसी हथियार से लड़ रहे हैं. सिर फोड़ रहे हैं. अंतड़ियां निकाल ले रहे हैं. सीमा पर खून बह रहा है.”
शिवसेना ने आगे लिखा, “‘सूत्र’ कहते हैं कि चीन के कमांडिंग ऑफिसर और उसके 30-40 सैनिक मारे गए. अब चीन के सैनिक मारे गए, इस पर खुश होकर हम सिर्फ ताली बजाते बैठें क्या? चीन का नुकसान हुआ, यह स्वीकार है. लेकिन हिंदुस्थान की सीमा में चीनी सेना घुस आई है, यह सच होगा तो चीन ने हिंदुत्व की संप्रभुता पर आघात किया है.”
पत्र में आगे लिखा गया, “देश को सीमा पर संघर्ष की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. चीन से जो संघर्ष आज शुरू है, उसका कारण पंडित नेहरू की असफल विदेश नीति है, ऐसा बोलकर सार्वजनिक सभाओं में तालियां मिल जाएंगी लेकिन आज जवानों का जो बलिदान शुरू है, उसे रोकने की जिम्मेदारी मोदी सरकार की है. ‘गड़बड़ सीमा पर नहीं, बल्कि दिल्ली में है. दिल्ली की सरकार नामर्द है. इसीलिए सीमा पर दुश्मन आंख दिखा रहा है.’
“चीन के राष्ट्रपति अमदाबाद आकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ झूले पर बैठकर ढोकला खाते बैठे. उसी समय हमने इसी स्तंभ से यह चेतावनी दी थी, ‘लाल चीनी बंदरों पर विश्वास मत करो! जैसे पंडित नेहरू का विश्वासघात किया गया, वैसे ही तुम्हारे साथ भी होगा.’ दुर्भाग्य से ऐसा हो चुका है. पाकिस्तान को धमकी देना, चेतावनी देना, सर्जिकल स्ट्राइक करके राजनीतिक माहौल बनाना आसान है क्योंकि पाकिस्तान देश नहीं, बल्कि एक टोली मात्र है. लेकिन चीन के मामले में ऐसा नहीं है.”
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