नई सरकार की गठन के बाद महाविकास आधाड़ी ने फिर एक बार शिवसेना के 39 बागी विधायकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. शिवसेना के व्हीप प्रमुख सुनील प्रभु ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उन 15 अन्य विधायकों के सदन से निलंबन की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिनके खिलाफ अयोग्यता याचिकाएं दायर की गई हैं.
शिवसेना के मुताबिक जब तक इन बागी विधायकों को मिले अयोग्यता के नोटिस पर फैसला नहीं होता है, तब तक इनको विधानसभा में एंट्री नहीं दी जा सकती. इतना ही नहीं पार्टी ने अपनी याचिका में जोर देते हुए आगे कहा कि महाराष्ट्र में बनने वाली नई सरकार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण पर भी रोक लगाया जाए.
सत्ता से बेदखल होने के बाद महाविकास अघाड़ी सरकार ने आरोप लगाते हुए कहा कि शिवसेना के बागी विधायक बीजेपी के मोहरे के रूप में काम कर रहे हैं. साथ ही यह लोग दलबदल का संवैधानिक पाप कर रहे हैं. इसलिए ऐसे लोगों को विधानसभा के सदस्य के रूप में बने रहने की अनुमति एक दिन के लिए भी नहीं देना चाहिए.
गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार को बड़ा झटका दिया था. राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखते हुए बहुमत परीक्षण की इजाजत दे दी थी. मामले की सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता का मामला लंबित होने से फ्लोर टेस्ट नहीं रुक सकता. कोर्ट के इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था.
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