पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीनी सेना के बीच होने वाली हिंसक झड़प के बाद दोनों के रिश्तों में तनाव आ गया है. सीमा पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए जहां एक तरफ सैन्य स्तर पर बातचीत का दौर जारी है, वहीं पहली बार ऐसा होगा जब दोनों देशों के रक्षामंत्री किसी प्रोग्राम में एक साथ शिरकत कर रहे हैं. लेकिन इन दोनों के बीच मुलाकात नहीं होगी.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी पर सोवियत की जीत की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर होने वाली विजय दिवस के परेड में हिस्सा लेंगे. सीमा पर जारी गतिरोध के बीच यह पहला अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम होगा जहां दोनों देशों के सैनिक साथ होंगे और इस कार्यक्रम में दोनों देशों के रक्षा मंत्री भी हिस्सा लेंगे. भारत पहले से ही साफ कर चुका है कि वह चीन के रक्षामंत्री जनरल वेई फेंगही से मुलाकात नहीं करेगा. वहीं चीनी मीडिया ने कहा था कि मॉस्को में दोनों देशों के रक्षा मंत्री पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव को लेकर मुलाकात कर सकते हैं.
पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत-चीनी सेना के बीच होने वाली हिंसक झड़प के बाद पहली बार दोनों देश के सैनिक भी एक साथ कदमताल करते हुए नजर आएंगे. रूस के विक्ट्री डे परेड में समारोह में चीन के 105 सदस्यों वाले प्रतिनिधि मंडल का प्रतिनिधत्व रक्षा मंत्री फेंगही करेंगे. 75 सैनिकों के दल की अगुवाई एक कर्नल रैंक के अधिकारी करेंगे. जबकि भारतीय दल के अगुवाई रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे हैं.
रूस जाने से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा, “रूस की यात्रा के दौरान भारत-रूस के बीच रक्षा और रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने को लेकर बातचीत होगी. मैं मॉस्को में 75वें विक्ट्री परेड डे में भी शामिल होऊंगा.”
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