कांग्रेस नेता राहुल गांधी लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों की मुश्किलों को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर रहे हैं. लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में मजदूर पैदल ही अपने-अपने राज्यों की ओर लौटने को मजबूर हो गए थे. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 16 मई को सुखदेव विहार फ्लाईओवर के पास इन मजदूरों से बातचीत की थी.
प्रवासी मजदूरों के साथ हुई बातचीत की डॉक्यूमेंट्री कांग्रेस ने शनिवार को जारी की इसके साथ ही राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना काल ने सबसे ज्यादा दर्द किसी को दिया है, तो वे मजदूर ही हैं. राहुल गांधी ने कहा, ‘कोरोना ने बहुत लोगों को पीड़ा दी. मगर सबसे ज्यादा दर्द हमारे मजदूर भाई-बहनों को हुआ है. उन्होंने कहा कि हमारे मजदूर भाई-बहन भूखे-प्यासे सड़कों पर हजारों किलोमीटर पैदल चले, वो रुके नहीं. उनको पीटा गया, डराया गया, धमकाया गया, मगर वो रुके नहीं. उन्होंने कहा कि मैंने इनकी सोच, इनका डर, इनकी आशाएं, इनका भविष्य इनके जरिए ही आपको दिखाना चाहता हूं. आखिर ये क्या सोच रहे हैं.
राहुल गांधी ने कहा कि मेरे प्रवासी श्रमिक भाई-बहन इस देश की शक्ति हैं. आप इस देश का बोझ अपने कंधों पर उठाते हो. पूरा देश चाहता है कि आपके साथ न्याय हो. उन्होंने कहा कि मजदूर सिर्फ काम चाहते हैं. प्रवासी श्रमिक इस बात से सबसे ज्यादा नाराज हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन लागू करते समय उनकी परवाह नहीं की तथा एकाएक लॉकडाउन की घोषणा कर दी. श्रमिक परेशान हैं कि इसे लगातार बढाया जा रहा है और उन्हें अपने घर जाने का मौका नहीं मिल रहा है. काम नहीं होने के कारण मजदूर सिर्फ अपने घरों तक पहुंचना चाहते हैं इसलिए पैदल चल रहे हैं.
वीडियो में श्रमिकों ने कांग्रेस नेता से कहा कि लॉकडाउन लागू करने से पहले श्री मोदी को सोचना चाहिए था कि इस मुल्क में गरीब भी रहते हैं जो दिन में कमाते हैं और शाम को उसी कमाई से पेट भरते हैं. उन्हें गरीबों का ध्यान रखना चाहिए था और उसी के हिसाब से निर्णय लेना चाहिए था लेकिन वह हमेशा की तरह अचानक टीवी पर आए और पूरे देश में लॉकडाउन लागू कर दिया.
राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को इन मजदूरों को उनके घर पहुंचाना चाहिए और 13 करोड़ जरूरतमंद परिवारों की सरकार को तुरंत मदद करनी चाहिए और उनके खाते में 7500 रुपये जमा करने चाहिए ताकि उन्हें अब और अधिक संकट का सामना नहीं करना पड़े.
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