सीएए और एनआरसी को लेकर जब पूरे देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा है. जामिया मिलिया में हुई पुलिसिया हिंसा के बाद देश की सभी प्रमुख शैक्षणिक संस्थान उबल पड़े और स्वफूर्त विद्यार्थियों का झुंड सड़क को गरम करने लगा तो प्रशासन द्वारा इसको दबाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाये जाने लगे. जिसमें नई कड़ी गुजरात के प्रसिद्ध औद्योगिक घराना निरमा द्वारा संचालित निरमा यूनिवर्सिटी के प्रशासन द्वारा छात्रों के प्रदर्शन को दबाने का नया मामला सामने आया है.
17 दिसंबर 2019 को गांधी आश्रम से CAA-NRC के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था, जिसमें में भाग लेने के लिए निरमा विश्वविद्यालय के छात्र इच्छुक थे और कुछ छात्र प्रदर्शन में शामिल भी हुए थे परंतु अब विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा आंदोलन को समर्थन देने वाले छात्रों को धमकाया जा रहा है. एंव छात्रों के अभिभवकों पर संस्थान के द्वारा दबाव खड़ा किया जा रहा है जिससे छात्र समर्थन को दबाया जा सके.
निरमा विश्वविद्यालय के यंग इंडिया नेशनल कोआर्डीनेशन कमीटी एंड कैंपेन अगेन्स्ट सीएए/एनआरसी/ एनपीए के तरफ से देव देसाई, अभिषेक खंडेलवाल एंव सेप्ट यूनिवर्सिटी की मानसी शाह ने एक संयुक्त बयान देते हुए कहा है कि “हम छात्रों की आवाज़ को दबाने के लिए विश्वविद्यालय के अधिकारियों के इस प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं. हम संबंधित अधिकारियों से छात्रों और उनके माता-पिता को भेजे गए संदेशों को वापस लेने की मांग करते हैं. हम मांग करते हैं कि विश्वविद्यालय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का उपयोग करने के लिए छात्रों को डराए और परेशान न करें, जो कि संविधान के तहत हम सभी के लिए गारंटी है”.
निरमा यूनिवर्सिटी के द्वारा छात्रों के अभिभावकों को एक सीरीज मैसेज भेजा गया है जिसमें विश्वविद्यालय का कहना कुछ इस प्रकार है कि, ” प्रिय अभिभावक निरमा यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ के तरफ से नमस्कार… हमारी जानकारी में आया है कि आपके बच्चे हालिया हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल थे जिनकी जानकारी हमसे इंटेलिजेंस ब्यूरो ने ली है… हमने अपने तरफ से छात्रों को समझाने की कोशिश की है… छात्र ऐसे मामलों से दूर रहें … जिसकी उम्मीद एंव सहयोग आप अभिभावकों से भी करते हैं… अगर वह भविष्य में ऐसे प्रदर्शनों में शामिल हुए तो पुलिस उनको रिकॉर्ड में शामिल कर सकती है… धन्यवाद”.