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स्वेज नहर में फंसे मालवाहक जहाज को चला रहा था 25 भारतीयों का दल

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Suez Canal Blocked: स्वेज नहर में फंसे विशालकाय मालवाहक जहाज एवरग्रीन के निकलने के आसार अभी नजर नहीं आ रहे हैं. इस जहाज के फंसने से स्वेज नहर से होकर गुजरने वाले एक बड़े औधोगिक मार्ग की यातायात ठप्प पड़ गई है. हजारों जहाज पानी में फंसे हुए हैं. Suez Canal Blocked

इसी बीच पता चला है कि इस जहाज को भारतीय चालकों का दल चला रहा था. इस चालक दल में 25 भारतीय हैं. Suez Canal Blocked

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जहाज के मालिक जापान के रहने वाले हैं जिनका नाम शेइई किसेन कैशा है. उन्‍होंने कहा कि इस जहाज को चलाने वाला चालक दल भारत से आया है. उन्‍होंने कहा कि चालक दल के सभी सदस्‍य सुरक्षित हैं. इस जहाज पर मिस्र के दो विशेषज्ञ चालक भी पहुंचे हैं जो फंसे हुए जहाज को निकालने में मदद कर रहे हैं. Suez Canal Blocked

जापानी मालिक ने मांगी माफी

जापानी मालिक ने एक लिखित बयान जारी करके पूरी घटना के लिए माफी मांगी है. उन्‍होंने कहा कि हम स्थिति को जल्‍द से जल्‍द ठीक करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं. हम इस घटना से प्रभावित हुए सभी लोगों से माफी मांगते हैं. कोरोना संकट के बीच इस जाम से वैश्विक व्‍यापार को एक और बड़ा झटका लगा है. इसे पिछले कुछ सालों में सबसे भीषण जाम बताया जा रहा है. Suez Canal Blocked

बता दें कि एवर ग्रीन जहाज एशिया और यूरोप के बीच में माल की ढुलाई करता है. मंगलवार को यह जहाज स्‍वेज नहर के संकरे रास्‍ते में फंस गया था. स्‍वेज नहर में फंसे जहाज को निकालने के लिए युद्धस्‍तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. Suez Canal Blocked

स्वेज नहर का इतिहास

स्वेज नहर की अहमियत औधोगिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्णं है. दुनिया के सबसे बड़े नहर को बनाने का काम 1859 में शुरू हुआ था लेकिन इसे बनने में करीब एक दशक का समय लग गया था. यह 1869 से प्रयोग में आना शुरू हो गई थी. साल 1956 तक इस पर ब्रिटेन का अधिकार था, इसके बाद ब्रिटेन ने इसे मिस्र को दे दिया. फिर मिस्र के राष्ट्रपति नासिर ने इस नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया जो स्वेज संकट का कारण बना.

इस नहर की लंबाई लगभग 192 किलोमीटर है. इससे गुजरने वाले जहाजों द्वारा दिए गए टोल टैक्स से मिस्र की सरकार को बड़ी मोटी कमाई होती है. स्वेज नहर के सिर्फ टोल से अरबों रुपये की कमाई होती है. पड़ने पर इसको आसानी से और भी चौड़ा और गहरा किया जा सकता है. यह नहर अकेले ही कुल वैश्विक व्यापार में 12% का योगदान करती है.

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