कुश्ती की ग्रीको रोमन शैली में भारतीय पहलवानों का स्तर विश्व स्तर पर कुछ खास नहीं रहा है लेकिन अब यह बात पुरानी हो गई है. इस शैली में भी भारतीय पहलवान अपने झंडे गाड़ रहे हैं. इसका जीता-जागता उदाहरण सुनील कुमार हैं. भारत के सुनील कुमार ने मंगलवार से दिल्ली में शुरू हुई एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप के पहले दिन ग्रीको रोमन के फाइनल में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. सुनील ग्रीको रोमन में स्वर्ण जीतने वाले तीसरे भारतीय बन गए हैं.
सुनील की एकतरफा जीत
रोम रैंकिंग सीरीज के रजत पदक विजेता सुनील ने फाइनल में किर्गिस्तान के अजत सलीदिनोचव को एकतरफा मुकाबले में 5-0 से करारी शिकस्त देकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया. सुनील को 2019 में फाइनल में हार गए थे जिससे उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था. लेकिन इस बार वह अपने पदक का रंग बदलने में कामयाब रहे. सुनील से पहले पप्पू यादव ने ग्रीको रोमन में स्वर्ण पदक जीता था. सुनील ने इससे पहले, क्वार्टर फाइनल में जापान के ताकाहिरो सुरुदा को 8-2 से मात देकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया था. सेमीफाइनल में उन्होंने कजाकिस्तान के अजमत कुस्ताबायेव को 12-8 से हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की की थी.
27 साल के सूखे को खत्म किया
सुनील की कामयाबी कई मायने में खास रही. अपनी सुनहरी सफलता के साथ ही सुनील ने ग्रीको रोमन में स्वर्ण पदक जीतने के भारत के 27 साल के सूखे को समाप्त कर दिया. स्वर्ण पदक विजेता सुनील ने कहा, “भारत के लिए आज पहला स्वर्ण पदक जीतकर मैं बहुत खुश हूं. मैंने अपनी तकनीक पर काफी मेहनत की थी. अब मुझे काफी अच्छा महसूस हो रहा है कि मैंने पिछले साल फाइनल के प्रदर्शन की तुलना में इस बार बेहतर प्रदर्शन किया है.” सुनील के ऐतिहासिक स्वर्ण से पहले, अर्जुन हालाकुर्की (55 किग्रा) ने कांस्य पदक मुकाबले में कोरिया के डोंगयेओक को 7-4 से हराकर कांस्य पदक जीता. हालांकि मेहर सिंह को 130 किग्रा कांस्य पदक मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा.