नई दिल्ली: लखीमपुर खीरी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर दी है. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़ितों को हर कार्यवाही में सुनवाई का अधिकार है. इस मामले में पीड़िता को सुनवाई के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. उच्च न्यायालय ने कई अप्रासंगिक मामलों पर ध्यान दिया है और उदाहरणों की अनदेखी की है. कोर्ट ने कहा कि आशीष मिश्रा को एक हफ्ते के अंदर सरेंडर करना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय को आशीष मिश्रा की जमानत अर्जी पर पुनर्विचार करना चाहिए. पीड़ित पक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वह इस बार मामले को दूसरी पीठ के साथ उठाने के लिए उच्चतम न्यायालय को निर्देश दें. CJI ने कहा कि ऐसा आदेश उचित नहीं होगा. हमें विश्वास है कि न्यायाधीश इस मामले में दूसरी सुनवाई की मांग नहीं करेंगे.
शीर्ष अदालत ने 16 मार्च को यूपी सरकार और आशीष मिश्रा को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था कि आशीष मिश्रा की जमानत रद्द क्यों न की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने एक गवाह पर हमले के मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त की. शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को नोटिस भेजकर गवाहों की सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों पर विस्तृत जवाब मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को सभी गवाहों को बचाने का निर्देश दिया था. याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत को बताया कि आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के बाद बचाव पक्ष के मुख्य गवाह के साथ बेरहमी से मारपीट की गई और हमलावरों ने जान से मारने की धमकी दी थी.
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