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गुजरात हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, 29 फरवरी को होने वाली थी फांसी

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सूरत में तीन साल की बच्ची के बलात्कार और हत्या का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषी को होने वाली फांसी पर रोक लगा दी. सूरत की निचली अदालत ने आरोपी की 29 फरवरी को फांसी देने का डेथ वारंट जारी किया गया था. जिसके बाद आरोपी अनिल यादव ने गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां से भी उसको राहत नहीं मिली थी, जिसके बाद यादव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. यादव को अक्टूबर 2018 में मौत की सजा दी गई थी. यादव द्वारा कहा गया है कि सभी कानूनी उपचार समाप्त होने से पहले डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता है.

वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए यादव के पास 60 दिन का समय है और इससे पहले डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता. चीफ जस्टिस ने इस बात से सहमति जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद डेथ वारंट जारी किए जा रहे हैं, जिसमें कहा गया था कि सभी कानूनी उपचार समाप्त होने से पहले डेथ वारंट जारी नहीं किया जाएगा. जज इस तरह के आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? न्यायिक प्रक्रिया इस तरह नहीं हो सकती.

क्या है पूरा मामला

सूरत के लिंबायत में साढ़े तीन साल की मासूम से दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने के दोषी अनिल यादव का सेशंस कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया है. जिसके बाद उसने सेशंस कोर्ट के फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था. 29 फरवरी की सुबह 4.39 बजे आरोपी अनिल को फांसी दी जाने वाली थी लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा पर रोक लगा दी है.