नई दिल्ली: लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने निराशा व्यक्त की है. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है, जैसा हम उम्मीद कर रहे थे वैसे कुछ भी नहीं है. अब मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.
शीर्ष अदालत ने जांच की प्रगति पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह हमारी उम्मीदों के अनुरुप कुछ भी नहीं हो रहा. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दायर स्टेटस रिपोर्ट में यह कहने के अलावा कुछ भी नया नहीं है कि और गवाहों से पूछताछ की गई है. अदालत ने लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा करने का सुझाव दिया है. इतना ही नहीं कोर्ट ने योगी सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए एक बार फिर से योगी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सिर्फ आशीष मिश्रा का फोन ही क्यों जब्त किया गया, किसी और का क्यों नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि मामले में सबूतों के साथ कोई छेड़छाड़ न हो, हम मामले की जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त करने के इच्छुक हैं.
शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राकेश कुमार जैन (सेवानिवृत्त) या न्यायाधीश रंजीत सिंह (सेवानिवृत्त) लखीमपुर खीरी जांच की देखरेख कर सकते हैं. शीर्ष अदालत ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में अलग-अलग शिकायतों में गवाहों की मिली भगत पर भी नाराजगी व्यक्त की है. गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी केस में चार किसानों और एक स्थानीय पत्रकार सहित आठ लोग मारे गए थे.
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