नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार 18 नवंबर को पोक्सो एक्ट पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट ने के उस फैसले को पलट दिया है, जिसमें कहा गया था कि यौन उत्पीड़न के मामले में त्वचा से त्वचा के संपर्क की आवश्यकता नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने नए आदेश के बाद अब स्पष्ट कर दिया है कि यौन उत्पीड़न के मामलों में त्वचा से त्वचा के संपर्क के बिना भी पॉक्सो अधिनियम लागू होता है.
कोर्ट ने कहा कि यौन उद्देश्यों के लिए शरीर के किसी अंग को छूना पॉक्सो एक्ट के तहत आएगा. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा नहीं कहा जा सकता कि बच्चों के कपड़ों के ऊपर से छूना यौन शोषण नहीं है. इस तरह की शब्दावली बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाए गए पॉक्सो अधिनियम को कमजोर कर देगी.
अदालत ने यह भी कहा कि कानून का उद्देश्य किसी भी अपराधी को कानून के चंगुल से मुक्त होने देना नहीं है. पीठ ने कहा, ‘हमने कहा है कि जब विधायिका की मंशा स्पष्ट होती है, तो अदालतें प्रावधानों में अपनी ओर से अस्पष्टता पैदा नहीं कर सकती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और राष्ट्रीय महिला आयोग की अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए 27 जनवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में पोक्सो एक्ट के तहत आरोपी को बरी कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि “एक नाबालिग के स्तन को त्वचा से त्वचा के संपर्क के बिना पकड़ना यौन शोषण नहीं कहा जा सकता है.”
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