नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में अविवाहित महिलाओं को भी एमटीपी एक्ट के तहत गर्भपात का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में सभी महिलाओं को चुनने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा है कि भारत में अविवाहित महिलाओं को भी एमपीटी एक्ट के तहत गर्भपात कराने का अधिकार है.
भारत में गर्भपात कानून विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच भेदभाव नहीं करता है. गर्भपात के उद्देश्य से बलात्कार में वैवाहिक बलात्कार भी शामिल है. सुप्रीम कोर्ट ने विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच गर्भपात के अधिकार को खत्म करने के अपने फैसले में कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम, जो अविवाहित महिलाओं को लिव-इन रिलेशनशिप से बाहर करना असंवैधानिक है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 21 के तहत प्रजनन स्वायत्तता गरिमा और निजता का अधिकार एक अविवाहित महिला को यह हक देते है कि वह विवाहित महिला के समान बच्चे को जन्म दें कि नहीं.
कोर्ट ने कहा कि गर्भ के 20-24 सप्ताह के बीच एकल या अविवाहित गर्भवती महिलाओं को गर्भपात कराने से रोकना, जबकि विवाहित महिलाओं को ऐसी स्थिति में गर्भपात की अनुमति देना संविधान के अनुच्छेद 14 की भावना का उल्लंघन होगा. कोर्ट ने कहा कि संकीर्ण पितृसत्तात्मक रूढ़ियों के आधार पर किसी भी कानून का लाभ तय नहीं किया जाना चाहिए. इससे कानून की भावना खत्म हो जाएगी.
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