सूरत (Surat) रत्नाकलाकार विकास संघ के अध्यक्ष जयसुख गजेरा ने तापी नदी में कूदकर खुदकुशी कर ली है. वह सूरत (Surat) में हीरा पॉलिशरों के हित के लिए लड़ते थे.
जयसुख गजेरा शहर के कामरेज क्षेत्र में तापी नदी पर बने एक पुल से कूद गए. सूरत (Surat) दमकल अधिकारियों की एक टीम ने मौके पर पहुंचकर उनका शव बरामद किया. ऐसा माना जाता है कि वित्तीय संकट के कारण जयसुख गजेरा को आत्महत्या जैसा बड़ा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.
बुधवार को लापता हुए थे जयसुख
गजेरा बुधवार को लापता हो गए थे. उनसे फोन पर संपर्क नहीं हो पाने के बाद उनके परिवार और दोस्तों ने उनकी तलाश शुरू कर दी थी.
परिवार को बाद में पता चला कि उनकी बाइक और जूते कामरेज हाईवे के पास ठाकोर ब्रिज पर मिले हैं. ब्रिज तापी नदी के ऊपर है और सूरत (Surat) पुलिस को संदेह था कि वह कूद गए होंगे. बाद में उनकी बॉडी फायर ब्रिगेड के गोताखोरों द्वारा नदी से बाहर निकाली गई.
गजेरा हीरे की पॉलिश करने वालों की ओर से सूरत (Surat) में सक्रिय थे. वह हीरा इकाई के मालिकों और सरकार दोनों को अपनी समस्याओं के बारे में बताते थे.
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उनका संगठन डायमंड पॉलिशर्स की ओर से उन्हें नौकरी दिलाने में मदद करता था. साथ ही नौकरी के दौरान जान गंवाने वाले लोंगो को मुआवजा दिलाने में भी मदद करता था. इसके अलावा उनका संगठन यात्रा और आवास लाभ दिलाने में मदद करता था.
सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि जयसुख गजेरा सरकार के हलफनामे के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की योजना बना रहे थे जिसमें कहा गया था कि सूरत (Surat) में कोरोना का प्रसार हीरा कर्मियों के कारण हुआ था.
कोरोना के कारण वित्तीय संकट
अपने मिलनसार स्वभाव के लिए मशहूर गजेरा कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से कुछ समय के लिए वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे.
सूत्रों ने बताया कि वह इतने वित्तीय तनाव में थे कि वह पिछले कुछ समय से सूरत (Surat) के वराछा के मिनी बाजार में संगठन के कार्यालय का किराया नहीं भर पाए थे.