चुनाव आयोग और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त के बीच एक अजीब वाद विवाद देखने को मिल रहा है. एक सप्ताह पहले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने कहा था कि दिल्ली चुनाव के दौरान नफरती भाषणों (हेट स्पीच) के जवाब में चुनाव आयोग को एफआईआर करनी चाहिए थी. उन्होंने चुनाव आयोग की कार्रवाईयों पर गंभीर सवाल उठाए थे. अब चुनाव आयोग ने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई कुरैशी को पत्र लिखकर उस सवाल के जवाब दिए हैं. चुनाव आयोग ने कहा है कि जब वे चुनाव आयोग के मुखिया थे उस दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने वाले नेताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी.
चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि बतौर मुख्य चुनाव अधिकारी एसवाई कुरैशी ने जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत भी कोई कार्रवाई नहीं की. इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब 8 फरवरी को पूर्व CEC एसवाई कुरैशी ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में एक लेख में लिखा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान भड़काऊ भाषण देने वालों के खिलाफ चुनाव आयोग को FIR दर्ज करवानी चाहिए थी.
पूर्व CEC एस. वाई कुरैशी के इस लेख के खिलाफ चुनाव आयोग ने उन्हें एक पत्र लिखा है और कहा है कि जब वो खुद भी देश के मुख्य चुनाव आयुक्त थे तो ऐसे मामलों में उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की थी. एसवाई कुरैशी 30 जुलाई 2010 से लेकर 10 जून 2012 तक देश के मुख्य चुनाव आयुक्त रहे थे. सुनील अरोड़ा इस वक्त देश के मुख्य चुनाव आयुक्त हैं. चुनाव आयोग ने एसवाई कुरैशी को लिखे पत्र में कहा है चुनाव आयोग 11 फरवरी 2020 से लेकर पिछले 20 सालों में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर की गई कार्रवाई की सूची जारी करने जा रहा है. आयोग ने कहा है कि जब आप देश के मुख्य चुनाव आयुक्त थे उस दौरान आचार संहिता उल्लंघन के मामलों और उन पर की गई कार्रवाई की सूची भी इस पत्र के साथ संलग्न है.
सीनियर डिप्टी इलेक्शन कमिश्नर डॉ. संदीप सक्सेना की ओर से एसवाई कुरैशी को लिखे पत्र में कहा गया है, “आप कृपया इस सूची पर नजर डाल सकते हैं, इसमें शामिल सूची से पता चलेगा कि उस दौरान आयोग ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 और आईपीसी की धारा 153 के तहत कोई एक्शन नहीं लिया था. ये विडंबना है कि कुछ चुनिंदा भूल से पाठक किस कदर गुमराह हो सकते हैं.”