पूरे देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है. ऐसे में अब बीजेपी लोगों में जन जाग्रति जाने की कोशिश कर गुजरात के तमाम जिलों में एक ही दिन 60 से ज्यादा रैली और सभा का आयोजन लोगों में इस कानून को लेकर फैली गलत फहमी को दूर करने की कोशिश की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ इस कानून के विरोध में रैली और विरोध प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी जा रही है. जिसको लेकर माइनॉरिटी कोआर्डीनेशन कमीटी गुजरात के कन्वीनर मुजाहिद नफीस ने खत लिखकर दलगत राजनीती से ऊपर उठकर संविधान के प्रावधानों के अनुरूप कार्य करने की मांग की है.
माइनॉरिटी कोआर्डीनेशन कमीटी गुजरात के कन्वीनर मुजाहिद नफीस ने खत लिखकर मांग करते हुए कहा कि आप जानते ही हैं कि भारत सरकार ने संविधान को नजरंदाज़ करते हुए देश के नागरिकता क़ानून को संशोधित करते हुए धर्म आधारित नागरिकता कानून को मंज़ूरी दी है. आप जानते ही हैं कि ये कानून देश के संविधान के अनुच्छेद 5,14,15,21 का स्पष्ट उलंघन है. महोदय देश का संविधान हज़ारों लोगों के अंग्रेजों से लम्बे संघर्ष के बाद आज़ादी प्राप्त होने के बाद मिला है, जिसका अनादर उन हज़ारों स्वतंत्रता संग्राम के सिपाहियों की शहादत का अपमान है.
उन्होंने कहा कि संविधान के मूल तत्व धर्मनिरपेक्ष राज्य को बचाने के लिए देश में धर्म आधारित नागरिकता क़ानून का विरोध पूरे देश में हो रहा है. लेकिन बड़े ही खेद के साथ आपको सूचित करना पड़ रहा है कि गुजरात के विभिन्न ज़िलों में विरोध प्रदर्शन को ज़िला प्रशासन द्वारा अनुमति नहीं दी जा रही है, उनका ऑफ दा रिकॉर्ड कहना है कि ऊपर से किसी भी विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने को कहा है इसलिए किसी को भी अनुमति नहीं मिलेगी. जबकि आज “नागरिक समिति” नामक संगठन को गुजरात के तमाम ज़िलों में CAA के समर्थन में प्रदर्शन करने की अनुमति दी गयी है. तो इस कानून के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?