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थमने का नाम नहीं ले रहा प्रवासी मजदूरों का दुश्वारियों भरा सफर, खतरे में जान फिर सफर को मजबूर

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यूपी का औरैया हो या मध्य प्रदेश का सागर. चाहे जितनी भी जानें चली जाए इसके बाद भी सड़कों पर मजदूरों की दुश्ववारियां कम होने का नाम नहीं ले रही. हाईवे पर परदेश से लौट रहे मजदूरों की मजबूरी साफ नजर आ रही है. कोई पैदल तो कई साइकिल से अपने घर की दूरी नाप रहा है. कई प्रवासी जान जोखिम में डालकर डाल कर टैंकरों और मालवाहक वाहनों की छतों में सफर कर रहे हैं. न उन्हें हादसे का डर न किसी खतरे का आभास. घर पहुंचने की जल्दबाजी में वह खतरों के बीच सफर कर रहे हैं.

शनिवार सुबह औरैया के भीषण हादसे से अनजान हाइवे पर परदेशियों के निकलने का तांता लगा था. बड़ी संख्या में ट्रेनों और बसों से प्रवासियों को भेजे जाने के बावजूद प्रवासियों की भीड़ इनकी दुश्वारियों, दहशत और दर्द को बयां करती है. ज्यादातर प्रवासी बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल को लौट रहे हैं. पैदल जा रहे मजदूर किसी वाहन के रुकते ही पड़ाव तक पहुंचने के लिए दौड़ पड़ते हैं. चालक की सहमति मिलते ही बैंग और अन्य सामान लेकर चढ़ने की होड़ लग जाती है. राजस्थान से (मुंगेर) जा रहे राकेश, विनोद, खालिद, किशोरीलाल आदि मजदूरों ने बताया वि छह दिन पहले निकले थे. कहीं पैदल कहीं साधन से यहां तक पहुंचे है. गांव कब तक पहुंचेंगे इसका कोई भरोसा नहीं है.

उन्होंने बताया कि लाकडाउन के बाद वह खाने को तरस गए. कपड़ा छोड़ कर पूरा सामान बेंच कर घर को निकले हैं. साधन नहीं मिलने पर पैदल ही चल दिया. आगरा के पास ट्रक में सवार होकर कानपुर तक पहुंचे थे, जहां से पैदल जा रहे है. आगे साधन मिल जाएगा को मुसीबत कम हो जाएगी नहीं यूं ही पैदल चलते रहेंगे.

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