कोरोना संकट और लॉकडाउन के बीच गृह राज्य के लिए निकली एक गर्भवती मजदूर ने सड़क किनारे बच्चे को जन्म दे दिया. नवजात के होने के करीब एक घंटे बाद ही वह उसे दोबारा गोद में लेकर लगभग 160 किलोमीटर पैदल चलीं. वह इस दौरान मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र की बिजासन सीमा के आस-पास थीं.
बच्चे और पति के साथ बिजासन बॉर्डर पहुंची शकुंतला के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि 70 किलोमीटर पैदल चलने के बाद बीच रास्ते में उन्होंने बच्चे को जन्म दिया था. हालांकि, डिलीवरी के दौरान साथ में चार अन्य महिलाओं ने उनकी मदद की.
पति राकेश कौल बोले कि वह नासिक (महाराष्ट्र) में रहते हैं. कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन के बाद काम धंधे सब बंद हो गए, जिसके कारण नौकरी चली गई. यही कारण था कि वह सतना (म.प्र) में घर लौट रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, बच्चा होने के बाद बीच रास्ते में मिले एक सिख परिवार ने शकुंतला को मदद के नाते बच्चे के लिए कुछ कपड़े और सामान दिया था. शकुंतला की कोख में यह बच्चा करीब नौ माह से था और इस स्थिति में भी उन्होंने पति के साथ घर को पैदल लौटने की ठानी. पांच मई को उन्होंने बच्चे को जन्म दिया था, जबकि शनिवार को वे लोग बिजासन बॉर्डर पहुंचे थे. सीमा पर चेक पोस्ट प्रभारी भी जांच के लिए महिला के पास आई थीं.
बता दें कि मध्य प्रदेश समेत देश के विभिन्न राज्यों से लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों का गृह राज्यों की ओर आना फिलहाल जारी है. केंद्र और राज्यों सरकारें खास तौर पर ऐसे लोगों के लिए स्पेशल ट्रेनें (श्रमिक गाड़ियां) चला रही है. रहने, खाने और काम तक के बंदोबस्त कर रही है, पर फिर भी मजदूर, श्रमिक और कामगार वर्ग को पूरी तरह से भरोसे में नहीं लेती दिख रही है.
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