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आंदोलनकारी से राजनीतिक गुरु बनने वाले ‘केजरीवाल’ का सियासी सफर, देश की राजनीति का बदल दिया अर्थ

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दिल्ली विधानसभा चुनाव में ज़बरदस्त जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने आज रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ ही मनीष सिसोदिया सहित कई और मंत्रियों ने भी शपथ ली. लेफ़्टिनेंट गर्वनर अनिल बैजल ने उन्हें शपथ दिलाई. रामलीला मैदान में बड़ी संख्या में दिल्लीवासी पहुँचे. प्रधानमंत्री मोदी को निमंत्रण दिया गया, लेकिन वह शामिल नहीं हो पाए. वह आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में तीस से अधिक सरकारी परियोजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं. केजरीवाल इससे पहले 2015 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. आज एक बार फिर से शपथ लेने के बाद केजरीवाल ने शपथ लेने के बाद भारत माता की जय और बंदे मारतम का नारा लगाकर अपने भाषण को शुरु किया उन्होंने कहा कि आपके बेटे ने तीसरी बार दिल्ली का मुख्यमंत्री बना है ये सिर्फ केजरीवाल की नहीं बल्कि तमाम दिल्लीवासियों की जीत है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी में चुनौती देने वाले अरविंद केजरीवाल फरवरी 2015 में रिकार्ड बहुमत से दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री बने. दिल्‍ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्‍मीदवार जीतकर आए थे और इस जीत के मुखिया थे अरविंद केजरीवाल. देश की राजनीति में अरविंद केजरीवाल अन्ना आंदोलन की देन हैं. IRS की नौकरी छोड़कर समाजसेवा की राह पर निकले अरविंद केजरीवाल को शुरुआत में अन्ना हजारे जैसे बड़े समाजसेवियों का साथ मिला था. अरविंद केजरीवाल ने ‘सूचना का अधिकार’ के लिए काफी काम किया.

अन्ना का आंदोलन अरविंद केजरीवाल के लिए उनके जीवन का बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ. अरविंद केजरीवाल ने अपने कुछ साथियों के साथ 2 अक्टूबर 2012 को आम आदमी पार्टी बनाई. राजनीति के अखाड़े में केजरीवाल के साथ दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का भरपूर साथ मिला. मनीष सिसोदिया के विषय में एक बार अरविंद ने कहा था कि मनीष हमारे एनजीओ में साथ जुड़ने वाले कार्यकर्ता थे.

16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार जिले में जन्‍मे अरविंद केजरीवाल तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं. उनके पिता का नाम गोविंद और माता का नाम गीता है. केजरीवाल की पत्नी का नाम सुनीता है. सुनीता भी आईआरएस अधिकारी रह चुकी हैं. सुनीता ने अरविंद के मुख्यमंत्री बनने के बाद वीआरएस ले लिया है. उनके बच्चों का नाम हर्षिता और पुलकित है.

अरविंद केजरीवाल आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग किए हुए हैं. वर्ष 1992 में उनका चयन आईआरएस में हो गया. बाद में उन्‍होंने नौकरी छोड़ दी और सामाजिक कार्यों में लग गए. सरकारी कामों में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए केजरीवाल ने ‘सूचना का अधिकार’ के लिए काम किया. इसके लिए उन्‍हें वर्ष 2006 में एमर्जेंट लीडरशिप के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

राजनीति का अर्थ बदलने वाले केजरीवाल

आम आदमी पार्टी ने 2013 में दिल्ली चुनाव में हिस्सा लिया. चुनाव में पार्टी ने 28 सीटें जीतीं. खुद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 25,864 वोटों से हराया. आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के आठ सदस्यों, जनला दल के एक सदस्य और एक निर्दलीय सदस्य की मदद से अल्पमत की सरकार बनाई.

लेकिन 14 फरवरी को 2014 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इसकी वजह केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में जनलोकपाल बिल ना ला पाना बताया. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव भी लड़ा. लेकिन वे तीन लाख सत्तर हजार के बड़े मार्जिन से बुरे तरीके से हार गए. उस चुनाव में आम आदमी पार्टी के चार प्रत्याशी चुनाव जीतने में कामयाब रहे.

आखिरकार 2015 में दिल्ली में विधानसभा चुनावों में केजरीवाल ने जबरदस्त जीत दर्ज की. कांग्रेस पार्टी का चुनावों में पूरी तरह खात्मा हो गया. बीजेपी महज तीन सीटों तक सिमटकर रह गई. आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटों पर जीत मिली. अगले पांच सालों में से शुरूआती तीन साल दिल्ली सरकार के लिए बहुत उथल-पुथल भरे रहे. कभी केंद्र सरकार, तो कभी एलजी से टकराव की खबरें आम थीं. केजरीवाल अकसर केंद्र सरकार पर काम न करने देने का आरोप लगाते.

इस दौरान उनकी ”मुफ्त बिजली और पानी” की सुविधाएं काफी लोकप्रिय हुईं. दिल्ली के स्कूलों में इनोवेशन और मोहल्ला क्लीनिक के उनके कामों की भी लोगों ने तारीफ कीं. इन्हीं मुद्दों पर उन्होंने 2020 का चुनाव लड़ा और बीजेपी जैसी भारी-भरकम चुनावी मशीनरी को दिल्ली में बुरे तरीके से पस्त कर दिया. आज शपथ के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ लोग आरोप लगा रहे हैं कि केजरीवाल दिल्लीवालों को मुफ्तखोर बना रही है. लेकिन ईश्वर अपनी सबसे प्यारी चीज को मुफ्त में देता है अगर केजरीवाल सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से पैसा ले, सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने वाले गरीब लोगों से पैसे ले, महिलाओं से बस में सफर करने पर पैसे ले तो मेरी जिंदगी पर लानत है.

सिर्फ केजरीवाल की नहीं दिल्लीवासियों की जीत

शपथ लेने के बाद रामलीला मैदान में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम दिल्ली को विकास का ऐसा मॉडल बनाना चाहते हैं जिससे दुनिया सबक ले, उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में हमने कोशिश की है कि दिल्ली के सभी परीवार की जिंदगी में खुशहाली ला सकें. हमने पिछले पांच सालों में हमने तेजी से विकास का मसौदा तैयार किया है, आने वाले सालों में हमारी कोशिश जारी रहेगी कि इस मसौदे को अमलीजामा पहनाया जाए. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने हमें वोट दिया कुछ कांग्रेस कुछ बीजेपी लेकिन आज मुख्यमंत्री बनने के बाद सभी को आश्वासन देना चाहता हूं कि में दिल्ली का मुख्यमंत्री बना हूं मेरे लिए वोटर अलग-अलग नहीं है. हम किसी के साथ सौतेला व्यवहार नहीं करने वाले. साथ ही साथ उन्होंने दिल्ली के लोगों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों ने विकास की सियासत को आगे बढ़ाया है. और लोगों को सियासत करने की नई सोच भी दी है.