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इन पांच राज्यों ने गुजरात में फंसे प्रवासी मजदूरों को स्वीकारने से किया इनकार

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अहमदाबाद: बढ़ते कोरोना के कारण लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया गया है. जिसकी वजह से सबसे ज्यादा अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूर हैं. हालांकि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रवासी कामगारों और छात्रों को उनके गृहनगर शर्तों के अधीन भेज सकते हैं. इस फैसला के बाद राज्य सरकार ऐसे प्रवासी मजदूरों और छात्रों को उनके गृहराज्य भेजने की तैयारी कर रही थी लेकिन ऐसे में चौंकाने वाली खबर ये आ रही है कि 5 राज्यों ने अपने मजदूर और छात्रों को अभी फिलहाल स्वीकारने से इनकार कर दिया है.

गृह मंत्रालय के दिशा निर्देश के बाद गुजरात सरकार अपने व्यावसायिक एकमों पर लगाम लगाकर प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की तैयारी कर रही है लेकिन पांच राज्यों ने अभी ऐसे लोगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. जिसमें यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र है, यहां की सरकारों का कहना है कि अभी हम पूरी तरह से उनके लिए जगह बनाने को तैयार नहीं हो पाए हैं. इसलिए गुजरात सरकार अभी इस दिशा में कोई कार्रवाई न करे. व्यवस्था होने के बाद सूचित कर दिया जाएगा.

प्रवासी मजदूरों के जाने पर ठप्प पड़ जाएगा गुजरात

राज्य के तमाम उद्योगों में लेबर वर्क में 60 प्रतिशत कर्मचारी बाहरी हैं. यदि ये सभी लोग बाहर चले जाते हैं, तो राज्य के उद्योग-धंधे प्रभावित होंगे. क्योंकि इन्हें आने में भी वक्त लगेगा. इससे गुजरात के उद्योगों को पटरी पर आने में कम से कम 6 महीने लगेंगे. गुजरात चेम्बर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष दुर्गेश बुच ने बताया कि इसका सबसे अधिक असर गुजरात पर ही होगा. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि इससे अर्थतंत्र भी प्रभावित होने का खतरा है. लेकिन प्रवासी मजदूरों के अंदर इतना डर बैठ गया है कि वह अब रुकने का नाम नहीं ले रहे है.

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