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सामना के जरिये शिवसेना ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर साधा निशाना, हिंदू-मुस्लिम का ‘अदृश्य विभाजन’ का लगाया आरोप

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मोदी सरकार ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सदन के पटल पर इस बिल को रखा. इस दौरान कांग्रेस के नेतृत्व में नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में हंगामा किया, जबकि एआईएडीएमके इस बिल के समर्थन में है. नागरिकता (संशोधन) विधेयक के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.

नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर कुछ दिनों पहले बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना ने अपने मुख्यपत्र सामना के जरिये कई सवाल पूछे हैं. शिवसेना ने सवाल उठाए कि क्या हिंदू अवैध शरणार्थियों की ‘चुनिंदा स्वीकृति’ देश में धार्मिक युद्ध छेड़ने का काम नहीं करेगी और उसने केंद्र पर विधेयक को लेकर हिंदुओं तथा मुस्लिमों का ‘अदृश्य विभाजन’ तो नहीं कर रही. इतना ही नहीं सामना के संपादकीय में लिखा गया कि क्या इस बिल के आड़ में ‘वोट बैंक की राजनीति’ तो नहीं किया जा रहा.

पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में शिवसेना ने विधेयक के समय पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘भारत में अभी दिक्कतों की कमी नहीं है लेकिन फिर भी हम कैब जैसी नयी परेशानियों को बुलावा दे रहे हैं. ऐसा लगता है कि केंद्र ने विधेयक को लेकर हिंदुओं और मुस्लिमों का अदृश्य विभाजन किया है.’ साथ ही शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कुछ पड़ोसी देशों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की अपील की.

शिवसेना ने सवाल किया, ‘यह सच है कि हिंदुओं के लिए हिंदुस्तान के अलावा कोई दूसरा देश नहीं है, लेकिन अवैध शरणार्थियों में से केवल हिंदुओं को स्वीकार करके देश में एक गृह युद्ध नहीं छिड़ जाएगा?’ उसने कहा, ‘अगर कोई नागरिकता (संशोधन) विधेयक की आड़ में वोट बैंक की राजनीति करने की कोशिश करता है तो यह देश के हित में नहीं है.’