कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने अब 3 मई तक के लिए देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान किया है. हालांकि कोरोना से बचने के लिए हुए इस लॉकडाउन की भारी कीमत अर्थव्यवस्था को चुकानी होगी. इस देशबंदी के चलते देश की अर्थव्यवस्था को 234.4 अरब डॉलर यानी 17 लाख 87 हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है. ब्रिटिश ब्रोकरेज एजेंसी ने यह अनुमान जताया है. इससे पहले 25 मार्च से 14 अप्रैल तक के लॉकडाउन में अर्थव्यवस्था को 8 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया गया था.
यही नहीं कोरोना के इस संकट के चलते कैलेंडर ईयर 2020 में भारत की जीडीपी ग्रोथ शून्य पर ठहर जाने की आशंका है. बार्कलेज का अनुमान है कि 2020 में ग्रोथ रेट जीरो रहेगी. हालांकि 2021 में 0.8 फीसदी की बेहद मामूली तेजी देखने को मिल सकती है. इससे पहले 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान भारत की ग्रोथ रेट 2020 में 2.5 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था, जो अब जीरो हो गया है. इसके अलावा 2021 के लिए जताए गए 3.5 फीसदी के ग्रोथ के अनुमान को एजेंसी ने महज 0.8 फीसदी कर दिया है.
बार्कलेज ने अनुमान जताते हुए कहा, ‘कोरोना से जंग में भारत अब क्योंकि 3 मई तक के लॉकडाउन में चला गया है. ऐसे में अब अर्थव्यवस्था पर बेहद विपरीत असर पड़ने का अनुमान है. गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सुबह 10 बजे अपने संबोधन में 3 मई तक देशव्यापी लॉकडाउन के बढ़ने का ऐलान किया है. इसके अलावा कोरोना से ज्यादा प्रभावित इलाकों में 20 अप्रैल तक सख्ती को और अधिक बढ़ाने की भी बात कही है.
बार्कलेज ने अनुमान जताया है कि लॉकडाउन के चलते माइनिंग, मैन्युफैक्चरिंग, एग्रिकल्चर और यूटिलिटी सेक्टर में उम्मीद से ज्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है. बता दें कि इस संकट की वजह से किसानों को अपनी फसलों तक को बेचने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है और इसके चलते ग्रामीण स्तर पर भी कैश की कमी पैदा हो गई है.
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