जापान की दिग्गज ऑटो कंपनी Toyota Motors ने कहा कि वह भारत में अपने कारोबार को और नहीं बढ़ाएगी. कंपनी ने इसके लिए भारत में ज्यादा टैक्स को जिम्मेदार बताया है. कंपनी का यह कदम मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका है जो विदेशी कंपनियों को लुभाने की कोशिश कर रही है.
Toyota की स्थानीय यूनिट टोयोटा किर्लोस्कर मोटर (Toyota Kirloskar Motor) के वाइस चेयरमैन शेखर विश्वनाथन ने कहा कि सरकार कार और बाइक पर ज्यादा टैक्स वसूलती है. यह टैक्स इतना अधिक है कि कंपनियों के लिए अपना कारोबार बढ़ाना बहुत मुश्किल है.
उन्होंने कहा कि ज्यादा टैक्स की वजह से कई ग्राहक गाड़ियां खरीद भी नहीं पाते हैं. इससे फैक्टरियों में काम नहीं है और रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं.
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सरकार ने किया खंडन
उधर सरकार ने इस तरह की खबरों को सिरे से खारिज किया है. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने Toyota द्वारा भारत से व्यापार समेटने की खबरों को गलत बताया है. उन्होंने ट्वीट किया, यह समाचार गलत है कि Toyota कंपनी भारत में निवेश करना बंद करेगी. विक्रम किर्लोस्कर ने स्पष्ट किया है कि Toyota आगामी 12 महीनों में 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश करेगी.
यह समाचार ग़लत है कि टोयोटा कम्पनी भारत में निवेश करना बंद करेगी । @vikramkirloskar ने स्पष्ट किया है कि टोयोटा आगामी 12 महीनों में 2000 करोड़ रुपए से ज़्यादा का निवेश करेगी । @PIBHindi
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) September 15, 2020
1997 में किया था भारत में प्रवेश
मालूम हो कि Toyota दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनियों में से एक है. इसने भारत में अपने कारोबार की शुरुआत 1997 में की थी. इसकी लोकल यूनिट में जापानी कंपनी की 89 फीसदी हिस्सेदारी है. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन डाटा के मुताबिक, अगस्त 2020 में कंपनी की भारतीय बाजार में हिस्सेदारी सिर्फ 2.6 फीसदी रह गई है जो एक साल पहले 5 फीसदी थी. भारत में कार पर सिगरेट की तरह लग्जरी गुड्स टैक्स लगता है जिसकी वजह से इसकी कीमतें काफी बढ़ जाती हैं. भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कार मार्केट है लेकिन ऑटो कंपनियां अपने बिजनेस को विस्तार देने के लिए लगातार मुश्किलों से जूझ रही हैं.