गुजरात के सूरत से लगातार खबर आ रही है कि प्रवासी मजदूरों के पास पैसा काम और राशन नहीं होने की बुनियाद पर पहले तो वह सब्र करके बैठे रहे लेकिन पेट की आग ने प्रवासी मजदूरों को आवाज उठाने पर मजबूर कर दिया. तालाबंदी पार्ट 2 ऐलान के बाद से सूरत से लगातार प्रवासी मजदूरों के हंगामा की खबर आ रही है. लेकिन इन प्रवासी मजदूरों की सुध ना रुपाणी सरकार ले रही है और ना ही जिस राज्य से ये लोग आते हैं वहां की सरकार नतीजा ये निकला कि बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर अपने-अपने तरीके अपने गांव जाने को रवाना हो गए. कुछ पहुंच गए, कुछ अभी रास्ते में हैं, कुछ को पुलिस ने पकड़ लिया, कुछ को पुलिस ने वापस भेज दिया.
छह दिनों तक बिना थके हारे साइकिल चलाकर 900 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी आधा दर्जन प्रवासी मजदूरों ने तय की है. गुरुवार (30 अप्रैल) की शाम उनके चेहरे पर तब सुकून और संतोष नजर आया, जब वो सभी अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश की सीमा में झांसी में प्रवेश कर गए. कोरोना वायररस की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन में इन सभी लोगों ने शनिवार (25 अप्रैल) की अहले सुबह 2 बजे सूरत के सहारा दरवाजा से अपना सफर उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के लिए शुरू किया था. गुरुवार की शाम तक ये लोग 935 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर चुके थे.
घर पहुंचने के लिए इन्हें अभी 320 किलोमीटर और आगे जाना है. उन्हें उम्मीद है कि रविवार की सुबह तक वो गांव पहुंच जाएंगे. प्रवासी मजदूरों का यह समूह बुधवार की दोपहर मध्य प्रदेश के गुना को पार कर चुका था. इसके बाद इनलोगों ने तय किया कि एमपी-यूपी बॉर्डर को छोड़कर दूसरा रास्ता अपनाया जाय, ताकि उन्हें कोई पकड़ न सके.
प्रवासियों में शामिल विक्रम राय ने बताया, जब हमलोग गुजरात एमपी सीमा के करीब थे तब हमलोगों की साइकिल नजदीक-नजदीक थी. वहां तैनात एक अधिकारी दयालु थे. उन्होंने हमलोगों को वापस लौट जाने को कहा लेकिन जबरन शेल्टर होम में नहीं भेजा. इस बार एमपी-यूपी सीमा पर हमने कुछ ग्रामीणों की सलाह ली और महसूस किया कि झांसी से लगभग 20 किलोमीटर दूर कुदरैया गाँव (दतिया जिले में) से होकर निकलना सबसे अच्छा विकल्प होगा. हालांकि, हमलोगों को चेताया गया था कि वहां जंगली इलाका है लेकिन हमलोग सुरक्षित निकल गए.
राय ने बताया कि बीच-बीच में ब्रेक लेकर हमलोगों ने 3 बजे सुबह से लेकर दोपहर के 12 बजे तक लगातार साइकिल चलाया. इनलोगों ने बताया कि रास्ते में कई लोग पूछते रहे कि कौन हो, कहां जा रहे हो? कुछ लोगों ने मदद के लिए पुलिस को पोन करने का भी ऑफर दिया. कुछ लोगों ने खाने का ऑफर दिया लेकिन हमलोगों ने वहां नहीं रुकने का फैसला कर रखा था. राय ने बताया, ‘हम वहां रुककर फंसना नहीं चाहते थे. हमलोग भूखे थे फिर भी कहा कि खाना खा लिया है. राय ने कहा कि अब हम कभी भी गुजरात वापस नहीं जाएंगे.
सभी मजदूर भाईओं को मजदूर दिवस की शुभकामनाएं
https://archivehindi.gujaratexclsive.in/labor-day-how-unable-is-bihar-government-on-returning-home-of-laborers-said-we-do-not-have-buses-run-special-trains/