शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे अब महाराष्ट्र के नये मुख्यमंत्री बनने की तैयारी कर रहे हैं. राजनीति में दिलचस्पी न लेने वाले वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर उद्धव ने आज महाराष्ट्र की राजनीति की पूरी बिसात ही पलट दी है. शिवसेना के अखबार सामना के एडिटर इन चीफ रहे उद्धव ठाकरे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर भी रहे हैं. कभी राजनीति से दूरी बनाने वाले उद्धव ठाकरे आज राजनीति के अखाड़े के कुशल खिलाड़ी बन चुके हैं.
महाराष्ट्र में शिवसेना की नींव रखने वाले बाल ठाकरे के बेटे उद्धव का जन्म 27 जुलाई 1960 को बॉम्बे में हुआ था. उनकी शुरुआती शिक्षा बालमोहन विद्या मंदिर से हुई. इसके बाद उन्होंने सर जेजे इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड आर्ट से उच्च शिक्षा हासिल की.
उद्धव ठाकरे का सियासी सफर
शिवसेना की नींव 1966 में उद्धव के पिता बाला साहेब ठाकरे ने रखी थी. जब तक बाला साहेब ठाकरे राजनीति में सक्रिय रहे तब तक उद्धव राजनीतिक परिदृश्य से लगभग दूर ही रहे या फिर उनके पीछे ही खड़े दिखे. हालांकि उद्धव पार्टी की कमान संभालने से पहले शिवसेना के अखबार सामना का काम देखते थे और उसके संपादक भी रहे. हालांकि बाद में बाल ठाकरे की बढ़ती उम्र और खराब सेहत के कारण उन्होंने 2000 के बाद पार्टी के कामकाज को देखना शुरू कर दिया था.
अपनी 40 साल की उम्र तक वो एक वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर के तौर पर करियर बना चुके थे. इस उम्र तक वो शिवसेना की राजनीति से दूर थे. पहली बार उन्हें 2002 के बृहद मुंबई नगर निगम चुनाव के दौरान पार्टी के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी गई. फिर साल 2003 में उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया. इसके बाद सक्रिय राजनीति में नवंबर 2012 में वो तब आए जब उनके पिता बाल ठाकरे का निधन हुआ. इस साल उन्होंने पार्टी प्रमुख का कार्यभार संभाला. तब से, उन्होंने 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों और 2017 मुंबई नागरिक चुनावों में पार्टी को सफलता दिलाई. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में शिवसेना ने 56 सीटें जीतीं और 2019 के लोकसभा में 18 सीटें जीतीं.
लोग ऐसा अनुमान लगाते थे कि वरिष्ठ ठाकरे की मृत्यु के बाद शिवसेना धीरे-धीरे बिखर जाएगी, इस भविष्यवाणी के विपरीत, उद्धव अपनी टीम को एक साथ एक रखने में कामयाब रहे और शिवसेना का राजनीतिक महत्व भी बनाए रखा.
साल 2002 में मंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनावों में शिवसेना को जोरदार सफलता मिली और इसका श्रेय उद्धव ठाकरे को दिया गया. इसके बाद बाल ठाकरे ने अपनी राजनीतिक विरासत उद्धव को सौंपी. जनवरी 2003 में उद्धव को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया. कम बोलने वाले उद्धव ठाकरे को जब बाल ठाकरे ने शिवसेना के उत्तराधिकारी के रूप में चुना तो कई लोगों को आश्चर्य हुआ था, क्योंकि पार्टी के बाहर कई लोग उनका नाम तक नहीं जानते थे और राज ठाकरे संभावित उत्तराधिकारी के रूप में जाने जाते थे. पर बाल ठाकरे के अपने बेटे उद्धव को उत्तराधिकारी चुने से आहत राज ठाकरे ने 2006 में पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी- महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया.
27 जुलाई, 1960 को मुंबई में जन्मे उद्धव ठाकरे के परिवार में पत्नी रश्मि ठाकरे के अलावा 2 बेटे आदित्य और तेजस हैं. उनका बड़ा बेटा आदित्य दादा और पिता की तरह राजनीति में सक्रिय है और शिवसेना की युवा संगठन युवा सेना का राष्ट्रीय अध्यक्ष है. आदित्य ठाकरे को शिवसेना ने आगे कर चुनाव लड़ा था, लेकिन नतीजे के बाद सियासी माहौल ऐसा बना कि खुद उद्धव ठाकरे को किंगमेकर से किंग बनने के लिए आगे आना पड़ा.
महाराष्ट्र में 2014 में नरेंद्र मोदी के केंद्र में आने से पहले शिवसेना महाराष्ट्र में एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में रहती थी, लेकिन इसके बाद बीजेपी वहां बड़े भाई की भूमिका में आ गई. 2014 में विधानसभा में गठबंधन की जीत के बाद शिवसेना अपना मुख्यमंत्री नहीं बना सकी. 2019 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव शिवसेना ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा, लेकिन सीएम पद पर दावेदारी के बाद दोनों की 25 साल पुरानी दोस्ती टूट गई. इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाने का फैसला किया है.
शिवसेना चीफ को फोटोग्राफी का हुनर अपने पिता बाल ठाकरे से विरासत में मिला था, बाला साहब कार्टूनिस्ट के साथ-साथ अच्छे फोटोग्राफर भी थे. तीसरी पीढ़ी में उद्धव के बेटे आदित्य भी वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में काफी हुनरमंद हैं.
बताते हैं कि उद्धव ने बचपन से ही कैमरा संभाल लिया था, वो प्रकृति और वन्यजीवन फोटोग्राफी के प्रति खास उत्साहित रहते थे. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा भी था कि फोटोग्राफी उनके लिए ऑक्सीजन की तरह है जिसे वो कभी नहीं छोड़ पाएंगे. महाराष्ट्र के किलों, मुंबई का जीवन, वारी यात्रा और अलास्का में की गई उनकी फोटोग्राफी काफी रोचक है.