लंदन: रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद पश्चिमी देशों ने रूसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के लिए कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए है. फिर भी रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इन प्रतिबंधों को नजर अंदाज करते हुए यूक्रेन पर आक्रमण जारी रखा है. जिसकी वजह से अब अमेरिका ने रूस से आयात होने वाले तेल, गैस और एनर्जी पर पाबंदी लगा दी है.
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का रूस के कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध को अमेरिका ने स्वीकार कर लिया है. संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन ने मंगलवार को रूस से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. ये फैसला ऐसे समय में लिया है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 140 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई हैं.
रूस, जो कच्चे तेल की यूरोप की 40 प्रतिशत मांग को पूरा कर रहा है, उसने भी चेतावनी दी है कि उसके कच्चे तेल के निर्यात पर प्रतिबंध से वैश्विक कच्चे तेल की कीमतें कम से कम 300 डॉलर तक पहुंच जाएंगी. अगर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो न केवल रूस बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था भी संकट में आ जाएगी.
जब से रूस ने यूक्रेन के खिलाफ अपना युद्ध शुरू किया है, यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की रूसी कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, पश्चिमी देशों ने रूस को कच्चे तेल के आयात से प्रतिबंधित नहीं किया है, इस आशंका का हवाला देते हुए कि इस तरह के प्रतिबंधों से आर्थिक संकट गहरा सकता है. कई कड़े आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हार नहीं मानी है.
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