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ट्रंप नहीं बने राष्ट्रपति तो बिगड़ जाएंगे भारत-अमेरिका के रिश्ते?

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अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भारत से कई मायने में लगाव है. अब इसे उनका अपना व्यापारिक हित कहें या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निकटता लेकिन ट्रंप हाल के दिनों में भारत के शुभचिंतकों में शुमार हो गए हैं. हालांकि उम्मीद लगाई जा रही है कि अगर अगले चुनावों में ट्रंप नहीं जीते और दोबारा राष्ट्रपति नहीं बने तो भारत और अमेरिका के रिश्ते पर इसका खराब असर पड़ सकता है.

दरअसल अमरीका में इस साल नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव होना है जिसको लेकर ट्रंप को डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडन से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद की जा रही है. इस बीच बाइडन ने कहा कि कश्मीरियों के सभी तरह के अधिकार बहाल होने चाहिए. बाइडन के इस बयान ने भारत-अमेरिका रिश्ते के भविष्य को लेकर शंकाएं जाहिर कर दी हैं.

पूर्व उपराष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि कश्मीरियों के अधिकारों के बहाल करने के लिए जो भी क़दम उठाए जा सकते हैं उसे भारत उठाए. इसके साथ ही बाइडन ने भारत के नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) को लेकर भी निराशा ज़ाहिर की है. बाइडन ने नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न (एनआरसी) को भी निराशाजनक कहा है.

बाइडन की कैंपेन वेबसाइट पर प्रकाशित एक पॉलिसी पेपर में कहा गया है, ”भारत में धर्मनिरपेक्षता और बहु-नस्ली के साथ बहु-धार्मिक लोकतंत्र की पुरानी पंरपरा है. ऐसे में सरकार के ये फ़ैसले बिल्कुल ही उलट हैं.” जो बाइडन का यह पॉलिसी पेपर एजेंडा फ़ॉर मुस्लिम-अमरीकन कम्युनिटीज़ टाइटल से प्रकाशित हुआ है. इतना ही नहीं, इसमें कश्मीर के साथ चीन के वीगर मुसलमानों और म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर भी बात कही गई है.

कश्मीर को लेकर बाइडन के इस पॉलिसी पेपर में कहा गया है, ”कश्मीर लोगों के अधिकारों को बहाल करने के लिए भारत को चाहिए कि वो हर क़दम उठाए. असहमति पर पाबंदी, शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोकना, इंटरनेट सेवा बंद करना या धीमा करना लोकतंत्र को कमज़ोर करना है. बाइडन असम में एनआरसी और नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर भी निराश हैं. सरकार के ये फ़ैसले भारत की सेक्युलर, बहु-नस्ली और बहु-धार्मिक लोकतंत्र की पुरानी परंपरा के ख़िलाफ़ है.” हालांकि समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार अमरीकी हिन्दुओं के एक समूह ने बाइडन के इस पॉलिसी पेपर को लेकर आपत्ति जताई है.

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